रिपोर्ट- गोविन्द पाराशर
खेरागढ/आगरा। ग्रामिण पत्रकार एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित भव्य कवि सम्मेलन ने दिवंगत पत्रकार एवं साहित्यसेवी बाबू बालेश्वर लाल जी की पुण्यतिथि को एक सांस्कृतिक महायज्ञ में परिवर्तित कर दिया। इस आयोजन ने न केवल साहित्यिक अभिव्यक्ति को स्वर दिया, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा के संवाहक वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित कर उन्हें यथोचित श्रद्धांजलि अर्पित की।
कविता के स्वर बने श्रद्धा के भाव
दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से आरंभ हुए इस समारोह में देशभर से पधारे विशिष्ट कवियों ने मंच को साहित्यिक ऊर्जा से अनुप्राणित किया। उनकी रचनाओं में सामाजिक विडंबनाओं, राष्ट्रप्रेम, मानवीय संवेदनाओं और हास्य-व्यंग्य का अद्भुत मिश्रण सुनने को मिला, जिसने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकारों को मिला विशेष सम्मान
इस गरिमामयी अवसर पर पत्रकारिता जगत के तीन वरिष्ठ एवं आदरणीय नामों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया:
• राजीव सक्सैना
• गजेन्द्र यादव
• डॉ. सुरेंद्र सिंह
इन महानुभावों को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन द्वारा शॉल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके दशकों लंबे निष्पक्ष, निर्भीक और मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता कार्य की सराहना है, बल्कि युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणा-स्रोत भी है।
सांस्कृतिक एकता का सशक्त उदाहरण
कार्यक्रम में पत्रकारिता, साहित्य, समाजसेवा और शिक्षाजगत से जुड़े सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को एक विचारमंथन का मंच बना दिया। वक्ताओं ने बाबू बालेश्वर लाल जी की बहुआयामी प्रतिभा और सामाजिक सरोकारों से युक्त पत्रकारिता का स्मरण करते हुए उन्हें युगद्रष्टा करार दिया।
संघ का संकल्प: विरासत को जीवंत बनाए रखने की प्रतिबद्धता
ग्रामिण पत्रकार एसोसिएशन ने यह संकल्प लिया कि बाबू बालेश्वर लाल जी की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष इसी प्रकार का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों की पुनःस्थापना और सांस्कृतिक चेतना के नवप्रवर्तन का मंच बनेगा।
बाबू बालेश्वर लाल जी की पुण्यतिथि पर संपन्न यह भव्य आयोजन उस विचारधारा का प्रतीक है जहाँ कलम विचारों से बड़ी होती है, और पत्रकारिता समाज का आईना बनकर दिशा देती है। जब साहित्य और मीडिया एक साथ चलते हैं, तब वह परिवर्तन की सबसे सशक्त धारा बन जाते हैं।
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