वृंदावन, मथुरा – बांके बिहारी मंदिर कोरिडोर परियोजना को लेकर उठ रहे विरोध की आग अब और तेज हो गई है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के लिए संघर्ष कर रहे पंडित दिनेश फलाहारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिखकर मंदिर सेवायतों और ब्रजवासियों के अधिकारों की मांग की है।

दिनेश फलाहारी ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से अपील की है कि कोरिडोर निर्माण में जिन ब्रजवासियों की दुकानें और मकान तोड़े जाएंगे, उन्हें उसी कोरिडोर परिसर में दुकान और आवास उपलब्ध कराया जाए और उचित मुआवजा भी दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के नाम जमा धनराशि सेवायतों की सहमति से ही खर्च की जाए।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन हिंदुओं का गौरव बताते हुए अपील की है कि अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी के सुझावों की बजाय मंदिर सेवायतों की भावनाओं को प्राथमिकता दें। फलाहारी का कहना है कि यदि सेवायतों की दुकानें और मकान छीन लिए गए तो वे बेरोजगार हो जाएंगे, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ जाएगा।
पंडित दिनेश फलाहारी ने दावा किया है कि बांके बिहारी मंदिर की संपत्ति सेवायतों की निजी संपत्ति है और इस पर बाहरी लोगों का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के ट्रस्ट में किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल न किया जाए।
गौरतलब है कि दिनेश फलाहारी वही हैं जिन्होंने तीन वर्ष पहले मंदिर की मुक्ति के संकल्प के साथ अन्न त्याग दिया था और आज भी वे भूखे और नंगे पांव ही जीवन यापन कर रहे हैं।
अपने पत्र में उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वे सेवायतों के साथ मिलकर भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आवश्यकता पड़ी तो मंदिर के लिए प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
फलाहारी ने सवाल उठाया कि जब सरकार ने न तो किसी मस्जिद और न ही किसी मदरसे का अधिग्रहण किया, तो फिर हिंदू मंदिरों का अधिग्रहण क्यों किया जा रहा है?
इस भावनात्मक और गंभीर अपील के बाद अब सरकार की प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं। मंदिर सेवायतों और ब्रजवासियों की इस लड़ाई ने एक बार फिर धार्मिक धरोहरों और पारंपरिक अधिकारों के संरक्षण की बहस को हवा दे दी है।