✍️ रिपोर्ट: गोविन्द पाराशर
खेरागढ़/आगरा। ग्रामीण पत्रकारिता के जनक, समाजसेवा और निर्भीक लेखनी के प्रतीक बाबू बालेश्वर लाल की पुण्यतिथि पर ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, जिला इकाई आगरा द्वारा आयोजित भव्य कवि सम्मेलन साहित्य, संवेदना और सम्मान का अनुपम संगम बन गया।
खेरागढ़ स्थित अग्रवाल भवन में यह आयोजन एक साहित्यिक तीर्थ में परिवर्तित हो गया, जहां शब्दों के माध्यम से श्रद्धा प्रकट की गई और कविताओं में स्मृति जीवंत हो उठी।
दीप प्रज्वलन से आरंभ हुई श्रद्धांजलि यात्रा
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबूजी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। श्रद्धा की लौ जब प्रज्ज्वलित हुई, तो वातावरण भावपूर्ण हो गया। यह क्षण केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक कालजयी व्यक्तित्व के प्रति सामूहिक नमन था।
🔹 “दीप जब स्मृति में जलते हैं, तो अंधकार भी शब्द बनकर रोशन हो उठता है।”
मंच पर प्रतिभाओं का शब्दोत्सव
इस आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री श्याम सुंदर पाराशर ने की, जबकि संचालन श्रीकांत पाराशर ने अपनी सौम्य और प्रभावशाली शैली में किया।
कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान, प्रशांत पोनियां तथा भगवान सिंह कुशवाह जैसे प्रतिष्ठित अतिथि मंच पर विराजमान रहे।
वहीं, स्वागताध्यक्ष की भूमिका कुलदीप गर्ग (चेयरमैन, जगनेर) ने निभाई, जिन्होंने सादगी और गरिमा का अद्भुत संतुलन प्रस्तुत किया।
• गरिमामयी उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का गौरव
पूर्व विधायक महेश गोयल, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम भदौरिया, ब्लॉक प्रमुख वीरेंद्र तोमर, दिगम्बर सिंह धाकरे, सुधीर गर्ग (चेयरमैन, खेरागढ़), राव हरेंद्र परमार सहित अनेक जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठजनों की उपस्थिति ने इस आयोजन को अभूतपूर्व गरिमा प्रदान की।
🔹 “जब शब्दों के मंच पर समाज के स्तंभ खड़े हों, तब साहित्य इतिहास रचता है।”
• कविता बनी श्रद्धांजलि की भाषा
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण रहे वे कवि, जिन्होंने अपने शब्दों से न केवल मनोरंजन किया, बल्कि दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
ओज, हास्य, श्रृंगार और राष्ट्रभक्ति – हर रस की रचनाएँ प्रस्तुत हुईं, और सभागार तालियों से गूंजता रहा।
प्रमुख कविगण:
• प्रो. ओमपाल सिंह निडर – राष्ट्रीय कवि और पूर्व सांसद
• नरेंद्र सिंह अकेला
• यशपाल यश
• योगेश चौहान
• निभा चौधरी
• डॉ. अंगद धारिया
• मुकेश शांडिल्य चिराग
• राम राहुल, प्रांजल आदि
🔹 “कविता जब श्रद्धा बन जाए, तब वह केवल शब्द नहीं – आत्मा की भाषा बन जाती है।”
सफल आयोजन के पीछे संगठित प्रयास
इस भव्य आयोजन के सूत्रधार रहे विष्णु सिकरवार (जिला अध्यक्ष, ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन आगरा), जिन्होंने समर्पण और संगठन की मिसाल प्रस्तुत की। उनके नेतृत्व में एक-एक पहलू को अत्यंत व्यवस्थित ढंग से संपन्न किया गया।
कार्यक्रम में शंकर देव तिवारी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), नरेश सक्सेना (राष्ट्रीय सचिव), अखिलेश सक्सेना (मंडल अध्यक्ष), संत कुमार भारद्वाज (मंडल महामंत्री) सहित अन्य जिलों से आए पदाधिकारियों की सक्रिय सहभागिता ने इस आयोजन को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया।
सहयोगियों का समर्पण
कार्यक्रम की सुचारु व्यवस्था में प्रमेन्द्र फौजदार, राजेश शर्मा, नीरज शुक्ला, अली कुरैशी, शमीम सिद्दीकी, अमन लवानियां, हरिओम रावत, मो. लवानिया, अनिल विथरिया, ज्ञानू चौधरी, शैलेश गौतम सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं का परिश्रम सराहनीय रहा।
🔹 “जिस आयोजन के पीछे इतनी आत्मा लगी हो, वह केवल आयोजन नहीं – एक यज्ञ होता है।”
एक संकल्प: स्मृति से प्रेरणा तक
यह कवि सम्मेलन न केवल एक श्रद्धांजलि था, बल्कि एक संकल्प भी – कि पत्रकारिता और साहित्य की यह साझी विरासत बाबू बालेश्वर लाल के सिद्धांतों के अनुरूप आगे बढ़ेगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुन्दर पाराशर ने सभी आगंतुक का हृदय से आभार व्यक्त किया।
🔹 “श्रद्धा जब शब्दों में ढलती है, तब वह प्रेरणा बन जाती है।”