इटावा। माता बगलामुखी का अवतरण दिवस यमुना नदी के किनारे मां पीतांबरा धाम मंदिर में श्रद्धाभाव के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया । इस मौके पर भव्य फूल बंगला सजाकर माता का आकर्षक श्रृंगार कर छप्पन भोग भी लगाया गया। एक शाम मां पीतांबरा के नाम भजन संध्या में पुष्प बर्षा के बीच देर रात तक श्रद्धालु खूब झूमे।माता की पूजा अर्चना व दर्शन के लिए सुबह से रात तक भक्तों की भारी भीड़ रही। माता के जयघोष से यमुना का तट देर रात तक गुंजायमान रहा।
यमुना नदी के किनारे प्राचीन ग्यारह रूद्रेश्वर महादेव मंदिर परिसर में माता पीतांबरा धाम पर प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। माता बगलामुखी के अवतरण दिवस के चलते जिले के ही नहीं बाहर से भी काफी संख्या में श्रद्धालु माता के दरवार में पहुंचे। मंदिर के पुजारी पंडित अजय दुबे व कार्तिकेय दुवे ने माता पीतांबरा का पूजन अर्चन कर विशेष श्रंगार किया और इसके बाद फूल बंगला सजाकर छप्पन भोग अर्पित किया। शाम 7 बजे माता की महाआरती उतारी गयी जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। महा आरती के बाद भजन संध्या एक शाम मां पीतांबरा के नाम आयोजित हुई जिसमें भजन गायक हित आशीष व हित प्रदीप के द्वारा एक से बढ़कर एक माता की भेंट व अन्य भजन प्रस्तुत किए गए वही गायिका सुचि पाण्डेय ने भी कई भजन सुनाये।
पुष्प वर्षा के बीच धार्मिक गीतों पर श्रद्धालु जमकर झूमे
माता को पीला रंग अत्यंत प्रिय है इसी के चलते भक्तों के द्वारा माता को पीला भोग व पीले फूल भी अर्पित किये गये।कार्यक्रम में बरुण तिवारी,गौरव ठाकुर,अजय गुप्ता,कन्हैया सैनी,राहुल सैनी,हरीओम तिवारी,अम्बरीष दुवे,आदर्श तिवारी,अभि दुवे,अर्पित ने सहयोग प्रदान किया ।
मां पीतांबरा के अवतरण दिवस के संबंध में मंदिर के पुजारी पंडित अजय दुबे ने बताया वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी को माता बगलामुखी का अवतरण हुआ था। माता दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या है इन्हें माता पीतांबरा भी कहते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने धरती पर आए भयंकर तूफान का नाश करने के लिए तप किया था इससे मां बगलामुखी प्रकट हुई थी। माता चिंता निवारक व संकटनाशिनी है इनकी साधना से शत्रु भय से मुक्ति मिलती है। माता को पीला रंग अत्यंत प्रिय है इसीलिए उन्हें माता पीतांबरा भी कहा जाता है।
- रिपोर्ट – अजय कुमार सिंह कुशवाह