आगरा: जिले में बहुचर्चित पनवारी कांड में वर्ष 1990 में भड़की हिंसा में कागाराैल के अकोला में हुई जातीय हिंसा में शुक्रवार को कोर्ट का फैसला आ गया। 34 साल बाद कोर्ट ने बुधवार को 35 आरोपियों को दोषी करार दिया था। 32 को जेल भेज दिया गया। तीन दोषियों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं। 15 आरोपियों को साक्ष्य के अभााव में बरी किया गया है। मुकदमा विचारण के दाैरान 22 की मृत्यु हो गई थी।
कोर्ट में शुक्रवार को सजा सुनाई गई। दोषियों को पांच साल का कठोरवास और हर एक पर 41 हजार का जुर्माना लगाया गया है। बता दें सिकंदरा के गांव पनवारी में अनुसूचित जाति के युवक की बरात चढ़ाने के मुद्दे पर 21 जून, 1990 को जाट और जाटव समाज के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था। 22 जून को पुलिस की माैजूदगी में बरात चढ़ाए जाने पर विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था। पुलिस के साथ पीएसी ने बल प्रयोग किया था। फायरिंग में गोली लगने से सोनी राम जाट की मृत्यु हो गई थी।
इसके बाद आसपास के गांवों में हिंसा भड़क गई थी। 24 जून, 1990 को गांव अकोला में दोपहर 1 बजे अनुसूचित जाति और जाट समाज के लोग आमने-सामने आ गए। डेढ़ घंटे तक हुए संघर्ष में एक महिला की मौत हो गई थी। 150 से अधिक घायल हुए थे। मामले में 200 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। विवेचना के बाद 72 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।