रिपोर्ट 🔹आकाश भारद्वाज
आगरा। ताजनगरी आगरा की शांत रात उस वक्त गोलियों की गूंज से दहल उठी, जब ताजगंज इलाके में रेस्टोरेंट बंद कर घर लौट रहा एक युवक, सिर्फ “नाम बताने” की कीमत अपनी जान से चुका बैठा!
गुलफाम नाम का कहर!
बुधवार रात करीब 12 बजे। ताजगंज के शिल्पग्राम रोड पर स्थित एक रेस्टोरेंट बंद हो रहा था। बाहर खड़ा था गुलफाम – बेफिक्र, अपने काम से। तभी स्कूटी पर सवार तीन अजनबी वहां से गुजरे… कुछ दूर जाकर रुके… और फिर लौटी मौत!
दो हमलावर सीधे गुलफाम के पास पहुंचे और सवाल किया – “गुलफाम कौन है?” जवाब आया – “मैं हूं गुलफाम…”
बस इतना सुनते ही एक ने जेब से तमंचा निकाला और सीने पर गोली दाग दी! गुलफाम लहूलुहान होकर ज़मीन पर गिर पड़ा।
गवाह बना दोस्त, बना अगला निशाना
साथी सैफ अली ने जब देखा तो दौड़ पड़ा मदद को, लेकिन हमलावरों ने उसे भी नहीं बख्शा। उस पर भी फायरिंग हुई, छर्रे लगे लेकिन किस्मत ने साथ दिया – जान बच गई। सैफ की चीखें सुन लोग इकट्ठा हुए, लेकिन तब तक हमलावर स्कूटी से हवा हो चुके थे।
गुलफाम की मौत, पीछे छूटे सपने
पुलिस घायल गुलफाम को अस्पताल ले गई, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गुलफाम की मौत ने उसके घरवालों पर ग़म का पहाड़ तोड़ दिया – तीन मासूम बच्चों का पिता अब नहीं रहा…
आख़िर कौन थे वो तीनों? और क्यों गुलफाम बना टारगेट?
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है – चार टीमें तैनात की गई हैं। सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि कोई अजनबी नाम पूछकर क्यों मार गया?
प्रेम-प्रसंग, दुश्मनी या कुछ और?
फिलहाल पुलिस हर एंगल से जांच में जुटी है – चाहे वो पुरानी रंजिश हो या दिल का कोई मामला। जवाब जल्द सामने आएंगे… लेकिन ताजगंज की उस रात को आगरा शायद कभी भूल नहीं पाएगा।
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