Close Menu
  • होम
  • UP Board Result 2025
    • Link 1
    • Link 2
  • देश
  • विदेश
  • प्रदेश
    • उत्तर प्रदेश
      • अमरोहा
      • अमेठी
      • अम्बेडकर नगर
      • अयोध्या (पूर्व नाम: फैजाबाद)
      • अलीगढ़
      • आगरा
      • आजमगढ़
      • इटावा
      • उन्नाव
      • एटा
      • औरैया
      • कन्नौज
      • कानपुर देहात
      • कानपुर नगर
      • कासगंज
      • कुशीनगर
      • कौशांबी
      • गाज़ियाबाद
      • गाज़ीपुर
      • गोरखपुर
      • गौतम बुद्ध नगर (नोएडा)
      • चंदौली
      • चित्रकूट
      • गोंडा
      • जालौन
      • जौनपुर
      • बदायूं
      • जगत
      • प्रयागराज (पूर्व नाम: इलाहाबाद)
      • झांसी
      • फतेहपुर
      • देवरिया
      • त्रिपुरा
      • पीलीभीत
      • प्रतापगढ़
      • बरेली
      • फर्रुखाबाद
      • बहराइच
      • फिरोजाबाद
      • बलरामपुर
      • बलिया
      • बांदा
      • बाराबंकी
      • बस्ती
      • बिजनौर
      • बुलंदशहर
      • महामाया नगर
      • महोबा
      • मथुरा
      • मऊ
      • मिर्जापुर
      • मुरादाबाद
      • मुज़फ्फरनगर
      • मिजोरम
      • रामपुर
      • महाराजगंज
      • लखीमपुर खीरी
      • मैनपुरी
      • मेरठ
      • रायबरेली
      • लखनऊ
      • ललितपुर
      • वाराणसी
      • शामली
      • शाहजहांपुर
      • संत कबीर नगर
      • संत रविदास नगर (भदोही)
      • सम्भल
      • सहारनपुर
      • सिद्धार्थनगर
      • हापुड़
      • सीतापुर
      • सुल्तानपुर
      • सोनभद्र
      • श्रावस्ती
      • हमीरपुर
      • हाथरस
      • हरदोई
    • अरुणाचल प्रदेश
    • असम
    • आंध्र प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • ओडिशा
    • कर्नाटक
    • केरल
    • गुजरात
    • गोवा
    • छत्तीसगढ़
    • तमिलनाडु
    • तेलंगाना
    • नगालैंड
    • झारखंड
    • पंजाब
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • हरियाणा
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश
    • हिमाचल प्रदेश
    • राजस्थान
    • सिक्किम
    • मेघालय
    • मणिपुर
  • विविध
  • खेल जगत
  • मनोरंजन
  • धर्म – आस्था
  • संपादकीय
  • ट्रेंडिंग
What's Hot

अगरपुर तिराहा जलेसर रोड पर कांवरियों की सेवा में समर्पित शिविर – जल, फल और दवाइयों से की जा रही श्रद्धालुओं की सेवा

July 29, 2025

देवघर में भीषण हादसा: तेज रफ्तार बस-ट्रक टक्कर में 18 कांवड़ियों की मौत, 30 घायल

July 29, 2025

नागपंचमी विशेष: राजनीति के सांपों की प्रजातियाँ – एक व्यंग्यपूर्ण पड़ताल

July 29, 2025
Facebook X (Twitter) Instagram
Jila Nazar
Banner
  • होम
  • UP Board Result 2025
    • Link 1
    • Link 2
  • देश
  • विदेश
  • प्रदेश
    • उत्तर प्रदेश
      • अमरोहा
      • अमेठी
      • अम्बेडकर नगर
      • अयोध्या (पूर्व नाम: फैजाबाद)
      • अलीगढ़
      • आगरा
      • आजमगढ़
      • इटावा
      • उन्नाव
      • एटा
      • औरैया
      • कन्नौज
      • कानपुर देहात
      • कानपुर नगर
      • कासगंज
      • कुशीनगर
      • कौशांबी
      • गाज़ियाबाद
      • गाज़ीपुर
      • गोरखपुर
      • गौतम बुद्ध नगर (नोएडा)
      • चंदौली
      • चित्रकूट
      • गोंडा
      • जालौन
      • जौनपुर
      • बदायूं
      • जगत
      • प्रयागराज (पूर्व नाम: इलाहाबाद)
      • झांसी
      • फतेहपुर
      • देवरिया
      • त्रिपुरा
      • पीलीभीत
      • प्रतापगढ़
      • बरेली
      • फर्रुखाबाद
      • बहराइच
      • फिरोजाबाद
      • बलरामपुर
      • बलिया
      • बांदा
      • बाराबंकी
      • बस्ती
      • बिजनौर
      • बुलंदशहर
      • महामाया नगर
      • महोबा
      • मथुरा
      • मऊ
      • मिर्जापुर
      • मुरादाबाद
      • मुज़फ्फरनगर
      • मिजोरम
      • रामपुर
      • महाराजगंज
      • लखीमपुर खीरी
      • मैनपुरी
      • मेरठ
      • रायबरेली
      • लखनऊ
      • ललितपुर
      • वाराणसी
      • शामली
      • शाहजहांपुर
      • संत कबीर नगर
      • संत रविदास नगर (भदोही)
      • सम्भल
      • सहारनपुर
      • सिद्धार्थनगर
      • हापुड़
      • सीतापुर
      • सुल्तानपुर
      • सोनभद्र
      • श्रावस्ती
      • हमीरपुर
      • हाथरस
      • हरदोई
    • अरुणाचल प्रदेश
    • असम
    • आंध्र प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • ओडिशा
    • कर्नाटक
    • केरल
    • गुजरात
    • गोवा
    • छत्तीसगढ़
    • तमिलनाडु
    • तेलंगाना
    • नगालैंड
    • झारखंड
    • पंजाब
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • हरियाणा
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश
    • हिमाचल प्रदेश
    • राजस्थान
    • सिक्किम
    • मेघालय
    • मणिपुर
  • विविध
  • खेल जगत
  • मनोरंजन
  • धर्म – आस्था
  • संपादकीय
  • ट्रेंडिंग
Jila Nazar
Home » [त्यौहार विशेष] हरियाली तीज: परंपरा की जड़ें और आधुनिकता की डालियाँ – ✍🏻 प्रियंका सौरभ
विविध

[त्यौहार विशेष] हरियाली तीज: परंपरा की जड़ें और आधुनिकता की डालियाँ – ✍🏻 प्रियंका सौरभ

Jila NazarBy Jila NazarJuly 27, 20255 Views
Facebook Twitter WhatsApp Pinterest LinkedIn Tumblr Reddit VKontakte Telegram Email Copy Link
Share
Facebook Twitter WhatsApp Telegram Copy Link

JNN! हरियाली तीज केवल श्रृंगार, झूला और व्रत का पर्व नहीं, बल्कि भारतीय स्त्री के आत्मबल, प्रेम और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। आधुनिकता की दौड़ में यह त्योहार भले ही प्रदर्शन का माध्यम बनता जा रहा हो, पर इसकी आत्मा अब भी स्त्री के मन, पर्यावरण और लोकसंस्कृति में जीवित है। यह पर्व रिश्तों में स्थायित्व, समाज में समरसता और जीवन में हरियाली लाने का संदेश देता है। आवश्यकता है इसे सादगी, सामूहिकता और संवेदना के साथ फिर से जीने की, ताकि परंपरा आधुनिकता के संग आगे बढ़े।

हरियाली तीज का नाम लेते ही आँखों के सामने एक चित्र उभरता है—हरा चूनर ओढ़े खेत, बारिश की बूंदों से भीगी धरती, झूलती बालाएं, मेंहदी रचे हाथ और लोकगीतों की सुमधुर गूंज। पर यह चित्र अब केवल स्मृति में रह गया है, क्योंकि आधुनिकता की तेज़ रफ्तार ने परंपराओं के रंगों को हल्का कर दिया है। फिर भी हरियाली तीज आज भी भारतीय स्त्रियों के मन में गहरे तक रची-बसी है। यह पर्व आज केवल धार्मिक या पारंपरिक नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक संदर्भों में भी विशेष महत्व रखता है।

हरियाली तीज वर्षा ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो शिव-पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है, जब आसमान बादलों से भर जाता है और धरती पर हरियाली बिछ जाती है। हरियाली तीज का मूल भाव प्रेम, समर्पण, सौंदर्य और प्रकृति के साथ तादात्म्य का है। पहले जहां इस पर्व को गाँवों और कस्बों में सामूहिक रूप से खुले वातावरण में मनाया जाता था, वहीं आज शहरी अपार्टमेंटों, वातानुकूलित हॉलों और सोशल मीडिया की चमक में इसकी आत्मा कहीं खोती जा रही है।

प्रश्न यह नहीं है कि पर्व मनाया जा रहा है या नहीं, प्रश्न यह है कि हम किस भाव से उसे निभा रहे हैं। पहले यह त्योहार स्त्रियों को सालभर की व्यस्तता और परिश्रम से थोड़ी राहत देने वाला, उनके भावनात्मक संसार को सहेजने वाला एक सहज अवसर होता था। स्त्रियाँ बिना किसी दिखावे के, प्राकृतिक परिवेश में एक-दूसरे से मिलती थीं, अपने सुख-दुख साझा करती थीं, लोकगीतों में अपने अनुभवों को पिरोती थीं। लेकिन अब यह पर्व कहीं-कहीं ‘सर्वश्रेष्ठ श्रृंगार प्रतियोगिता’, ‘तीज क्वीन’ और ‘सेल्फी विद स्विंग’ जैसे आयोजनों में तब्दील हो गया है, जहाँ संवेदना की जगह प्रतियोगिता ने ले ली है।

हरियाली तीज स्त्री मन के उस पक्ष को उजागर करता है जो प्रेम, प्रतीक्षा और पारिवारिक समर्पण से जुड़ा होता है। आज के दौर में जब रिश्ते त्वरित संवाद और क्षणिक भावनाओं में बदलते जा रहे हैं, तब यह पर्व स्थायित्व, आस्था और धैर्य का संदेश देता है। यह पर्व यह भी सिखाता है कि संबंधों को केवल अधिकार से नहीं, कर्तव्य और भावना से निभाया जाता है। पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखना हो या शिव-पार्वती जैसे दांपत्य संबंधों की कल्पना, इन सबमें एक ऐसा भाव छिपा है जो स्त्री को त्याग का नहीं, बल्कि आत्मबल का प्रतीक बनाता है।

आधुनिक संदर्भ में देखें तो यह पर्व कई नए अर्थों को जन्म देता है। जहां पहले तीज केवल विवाहित स्त्रियों तक सीमित थी, अब कई स्थानों पर इसे अविवाहित लड़कियाँ भी आत्मिक अनुभूति और सामूहिक संस्कृति के रूप में मनाने लगी हैं। कार्यरत महिलाओं के लिए यह पर्व अपने अस्तित्व और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ने का एक माध्यम बनता जा रहा है। वही महिलाएं, जो दिनभर कार्यालयों में कंप्यूटर की स्क्रीन के सामने बैठी रहती हैं, तीज के अवसर पर झूला झूलते हुए कुछ पल के लिए प्रकृति के साथ जुड़ जाती हैं। यह जुड़ाव आज की मानसिक थकान और तनाव के दौर में एक भावनात्मक उपचार जैसा है।

परंतु आधुनिकता की यह यात्रा केवल सकारात्मक बदलाव नहीं लाती। तीज अब एक ‘सोशल मीडिया इवेंट’ बन गया है, जहाँ हर महिला को यह सोचकर श्रृंगार करना पड़ता है कि उसकी फोटो सबसे सुंदर दिखे। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #TeejLook, #GreenDressChallenge और #TeejVibes जैसे ट्रेंड त्योहार को ग्लैमर से तो भरते हैं, पर उसकी आत्मा को खोखला भी करते हैं। त्योहार अब मन की खुशी से ज़्यादा दिखावे की होड़ में शामिल हो गया है। यही कारण है कि त्योहार बीतने के बाद भी मन संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि वह जुड़ाव, वह सामूहिकता, वह आत्मीयता अब केवल तस्वीरों में सीमित रह जाती है।

हरियाली तीज की सबसे सुंदर बात यह थी कि यह पर्व हमें प्रकृति के करीब ले जाता था। खेतों में लगे झूले, पेड़ों पर टंगे कागज़ के फूल, मिट्टी से बने शिव-पार्वती के स्वरूप — ये सब हमें याद दिलाते थे कि हम प्रकृति के ही अंश हैं। आज जब हम जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग, पेड़ों की कटाई और प्रदूषण जैसे संकटों से जूझ रहे हैं, तब तीज जैसे पर्व हमें पर्यावरण संरक्षण की चेतना दे सकते हैं। अगर हर तीज पर एक पेड़ लगाने की परंपरा शुरू की जाए, अगर बच्चों को झूला झुलाने के साथ-साथ पेड़ से प्रेम करना सिखाया जाए, तो यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, पर्यावरणीय आंदोलन बन सकता है।

तीज में महिलाएं लोकगीत गाती थीं, जिनमें नारी की पीड़ा, उसकी उम्मीदें, उसकी हंसी, और उसका समाज से संवाद छुपा होता था। आज वह लोकगीत मोबाइल की रिंगटोन बन चुके हैं या यूट्यूब के व्यूज तक सिमट गए हैं। हमें इन गीतों को फिर से जीवन में लाना होगा। नारी की आवाज़ को उसकी भाषा, उसकी धुन, और उसके लोकसंगीत में फिर से पिरोना होगा। यदि हम सच में महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो इन सांस्कृतिक मंचों को पुनर्जीवित करना जरूरी है, क्योंकि यही स्त्रियों को आत्म-अभिव्यक्ति की सबसे स्वाभाविक ज़मीन देते हैं।

आज जब महिलाएं शिक्षा, सेवा, राजनीति और विज्ञान के हर क्षेत्र में भागीदारी निभा रही हैं, तब यह आवश्यक है कि त्योहारों को भी उनके नए रूपों में स्वीकार किया जाए। तीज को केवल पारंपरिक श्रृंगार और व्रत तक सीमित न कर, उसे आत्मचिंतन, सांस्कृतिक संवाद और सामाजिक चेतना से जोड़ना होगा। तीज केवल घर की चारदीवारी में मनाया जाने वाला त्योहार नहीं होना चाहिए, बल्कि यह महिला जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण, लोकसंस्कृति संरक्षण और सामाजिक संवाद का अवसर बन सकता है। अगर एक महिला तीज के दिन वृक्षारोपण करे, कुपोषित बच्चों के लिए भोजन बांटे, घरेलू हिंसा के खिलाफ एक संवाद करे, तो वह इस पर्व को नई चेतना दे सकती है।

शहरीकरण और उपभोक्तावाद ने हमारे त्योहारों को उपहारों, महंगे लहंगे और इंस्टाग्राम-योग्य सजावटों में बदल दिया है। तीज अब रेडीमेड परिधानों, ब्यूटी पार्लरों और ‘फैशन शो विद झूला थीम’ का केंद्र बन गई है। हम भूलते जा रहे हैं कि इस पर्व का सौंदर्य उसकी सादगी में था—माँ के हाथों से बुना गया हरा दुपट्टा, बहन द्वारा सजाया गया झूला, पड़ोसी की दी हुई मेंहदी। यही सादगी त्योहार को उत्सव बनाती थी, यही आत्मीयता इसे जीवंत बनाती थी। अगर आधुनिकता को अपनाते हुए हम सादगी और आत्मीयता को न छोड़ें तो यह पर्व और अधिक समृद्ध बन सकता है।

हरियाली तीज स्त्री मन की वो कविता है, जिसे वह हर वर्ष प्रकृति के पन्नों पर लिखती है। यह पर्व बताता है कि स्त्री केवल त्याग की प्रतिमूर्ति नहीं, बल्कि सृजन की शक्ति है। जब वह झूला झूलती है, तो वह केवल आनंद नहीं लेती, वह समय से संवाद करती है—बीते हुए पलों से, आने वाले कल से। जब वह शिव-पार्वती की पूजा करती है, तो वह केवल धार्मिक कर्म नहीं करती, वह अपने भीतर की ऊर्जा, समर्पण और शक्ति को पहचानती है। और जब वह हरे वस्त्र पहनती है, तो वह केवल श्रृंगार नहीं करती, वह जीवन की हरियाली को अपनाती है।

इसलिए ज़रूरत है कि हम हरियाली तीज को फिर से उसकी आत्मा के साथ जोड़ें। परंपरा और आधुनिकता को विरोधी ध्रुव नहीं, सहयात्री बनाएं। परंपराओं को संजोते हुए नई पीढ़ी को यह समझाएं कि त्योहार केवल कपड़े पहनने और फोटो खिंचवाने का अवसर नहीं, बल्कि जीवन के मूल मूल्यों को जीने का नाम है। अगर हम तीज के इस भाव को समझें, तो यह पर्व हमारे समाज को और भी सुंदर, समावेशी और संवेदनशील बना सकता है।

______________________

Previous Articleहरियाली तीज पर्व को लेकर बरसाना में प्रशासन सतर्क,सुरक्षा और व्यवस्थाओं के पुख्ता इंतजाम
Next Article फतेहपुर सीकरी में 1 करोड़ की चोरी: पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने लिया संज्ञान, पीड़ित परिवार को दिया जल्द खुलासे का भरोसा
Jila Nazar
Jila Nazar

"गांव से शहर तक, गलियों से सड़क तक- आपके इलाके की हर धड़कन को सुनता है "जिला नजर" न्यूज़ नेटवर्क: नजरिया सच का

Related Posts

नागपंचमी विशेष: राजनीति के सांपों की प्रजातियाँ – एक व्यंग्यपूर्ण पड़ताल

July 29, 2025

क्या है ‘रुद्र और भैरव ब्रिगेड’? जो बनेगी दुश्मनों का काल

July 26, 2025

पुस्तक समीक्षा: “अक्षर पुरुष” बनवारी लाल तिवारी रचनात्मक चेतना का उज्ज्वल दस्तावेज

July 26, 2025
Latest Posts

अगरपुर तिराहा जलेसर रोड पर कांवरियों की सेवा में समर्पित शिविर – जल, फल और दवाइयों से की जा रही श्रद्धालुओं की सेवा

July 29, 2025

देवघर में भीषण हादसा: तेज रफ्तार बस-ट्रक टक्कर में 18 कांवड़ियों की मौत, 30 घायल

July 29, 2025

नागपंचमी विशेष: राजनीति के सांपों की प्रजातियाँ – एक व्यंग्यपूर्ण पड़ताल

July 29, 2025

📜 दैनिक पंचांग एवं राशिफल 📜मंगलवार☀ 29-Jul-2025

July 29, 2025

सीबीएसई क्लस्टर-19 वॉलीबॉल प्रतियोगिता में गूंजा बेटियों का परचम, गाजियाबाद और मुरादाबाद की टीमों ने मारी बाज़ी

July 29, 2025

ग्राम पंचायत बसई में स्वच्छता को लेकर बड़ा निरीक्षण, कई व्यवस्थाओं की गहन जांच

July 28, 2025

हर घर वाटर हार्वेस्टिंग की मांग और फतेहाबाद के विकास को लेकर मुख्यमंत्री से डॉ. मंजू भदौरिया की मुलाकात

July 28, 2025

हरियाली तीज की छटा बिखेरता वीआई फतेहाबाद महिला क्लब का रंगारंग उत्सव!

July 28, 2025
About
About

Chief Editor
Sant Kumar
Dhimishri, Agra – 283125
📞 7534805152, 8923377615

Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
« Jun    
Copyright © 2025. Designed by Nimble Technology
  • Privacy Policy
  • About Us
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Terms and Conditions

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.