आगरा: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने बृहस्पतिवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मायावती को अपनी पार्टी खत्म करने के लिए किसी और के योगदान की जरूरत नहीं है, वे अकेली ही काफी हैं। यह बयान 19 अक्टूबर को आगरा के गांव बीनपुर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने की घटना के विरोध में सुमन के गांव दौरे के दौरान आया। सुमन ने नई प्रतिमा का माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी और दलित समाज के लोगों से मुलाकात की।
मायावती पर सपा सांसद का हमला
- सुमन ने कहा, “मायावती ने जन इच्छाओं के खिलाफ आचरण किया है। आने वाले समय में उन्हें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।” उन्होंने 9 अक्टूबर की रैली का जिक्र करते हुए बोला कि लोग वहां मायावती से दलितों पर अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का एलान सुनना चाहते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
- “मोबाइल से पार्टियां नहीं चलतीं, संघर्ष से चलती हैं। जो जनता के सवाल पर मुखर होकर बोलेगा, वही राजनीति में जिंदा रहेगा।” सुमन ने बसपा को भाजपा की ‘बी-टीम’ करार दिया, जो हालिया राजनीतिक तनावों में सपा-बसपा के बीच बढ़ रही खाई को दर्शाता है।
- एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन बसपा की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
आंबेडकर प्रतिमा क्षति पर सपा का विरोध
- 19 अक्टूबर को बीनपुर गांव में अराजक तत्वों ने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया था। सुमन ने गांव पहुंचकर नई प्रतिमा का अनावरण किया और स्थानीय दलितों का हालचाल जाना।
- उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेशभर में आंबेडकर और भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन भाजपा सरकार अराजक तत्वों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर रही। “प्रदेश में जनता तो दूर, भगवान भी सुरक्षित नहीं हैं।”
मीडिया से बातचीत में जंगलराज का आरोप
- बीनपुर के बाद सुमन सपा नेता लालू यादव के स्टेशन रोड स्थित आवास पर पहुंचे, जहां मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार के शासन में जंगलराज कायम है। पुलिस नाकारा हो चुकी है और अधिकारी बेलगाम हैं।”
- सुमन ने दलित विरोधी नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार अत्याचारों को नजरअंदाज कर रही है। इस मौके पर सपा जिलाध्यक्ष विक्रम यादव, अब्दुल हफीज गांधी, लालू यादव, राजू बघेल, असलम अंसारी, राम निवास कश्यप, भूपेंद्र सिंह, विनय कुशवाहा, डॉ. प्रेमपाल शाक्य सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्रतिक्रियाएं
यह बयान सपा और बसपा के बीच लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक दुश्मनी को नई हवा देता है। हाल ही में मायावती ने सपा पर निशाना साधा था, जिसके जवाब में अखिलेश यादव ने ‘अंदरूनी सांठगांठ’ का इशारा किया था। सपा दलित वोटबैंक पर फोकस बढ़ा रही है, जबकि बसपा की ओर से सपा को ‘संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति’ बताने वाले बयान आ चुके हैं।





