नई दिल्ली/एजेंसी, 21 जुलाई 2025। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया है। यह पहला अवसर है जब भारत के किसी उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया हो। इस खबर ने देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

इस्तीफे की घोषणा और बयान

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, “मैं अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए यह कदम उठा रहा हूं। मैं अपने कार्यकाल के दौरान मिले सहयोग के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल का हृदय से धन्यवाद करता हूं। इसके साथ ही, मैं सभी सांसदों के स्न eh और सम्मान के लिए भी आभारी हूं।” उनके इस बयान ने उनके कार्यकाल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता को दर्शाया।

जगदीप धनखड़ का कार्यकाल

जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को भारी अंतर से हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट प्राप्त हुए थे। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक निर्धारित था।

धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सत्रों का संचालन किया और संसदीय कार्यवाही में संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया। हालांकि, उनके कार्यकाल में विपक्ष के साथ कई बार तनावपूर्ण स्थिति भी देखने को मिली, विशेष रूप से संसदीय नियमों और विपक्षी सांसदों के व्यवहार को लेकर।

स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं

हाल के महीनों में धनखड़ के स्वास्थ्य को लेकर कई खबरें सामने आई थीं। मार्च 2025 में, सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा, जून 2025 में नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें राजभवन में प्राथमिक उपचार दिया गया। इन घटनाओं ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में जन्मे जगदीप धनखड़ एक प्रख्यात वकील और राजनेता रहे हैं। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से फिजिक्स में स्नातक और बाद में कानून की डिग्री हासिल की। 1990 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला। धनखड़ ने 1989 में झुंझुनू से लोकसभा सांसद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और 1990-91 में चंद्रशेखर मंत्रालय में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे। 2019 से 2022 तक उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।

विवाद और टिप्पणियां

धनखड़ का कार्यकाल कई बार विवादों से भी घिरा रहा। विशेष रूप से, संविधान के अनुच्छेद 142 पर उनकी टिप्पणियों ने व्यापक बहस छेड़ दी थी। अप्रैल 2025 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की आलोचना की थी जिसमें राष्ट्रपति को विधेयकों पर समयसीमा के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था। धनखड़ ने इसे “लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल” करार दिया था, जिस पर विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और डीएमके, ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

इसके अलावा, अगस्त 2024 में विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, जिसमें उनका पक्षपातपूर्ण रवैया होने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका।

आगे की प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद अब नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाता है। नए उपराष्ट्रपति के चयन तक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता कर सकती हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

धनखड़ के इस्तीफे पर विभिन्न राजनीतिक दलों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेताओं ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है, जबकि विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर संयमित प्रतिक्रिया दी है। कुछ विपक्षी नेताओं ने उनके कार्यकाल की आलोचना करते हुए इसे अवसर के रूप में देखा है, लेकिन अधिकांश ने उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के फैसले का सम्मान किया है।

जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों से अपने कार्यकाल को बीच में छोड़ा है। उनके इस निर्णय ने देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि नया उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह बदलाव संसदीय कार्यवाही को कैसे प्रभावित करेगा।

उपराष्ट्रपति धनखड़ के स्वास्थ्य और उनके भविष्य के लिए देशवासियों की ओर से शुभकामनाएं। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

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