आगरा: सदर तहसील के डीआईओएस परिसर में स्थित राजकीय बाल गृह (शिशु) में शनिवार को मण्डलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह ने औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ मानवीय संवेदना का भी परिचय दिया। निरीक्षण में बच्चों की पढ़ाई, रहन-सहन, खानपान और दैनिक दिनचर्या की गहन समीक्षा की गई।

निरीक्षण का विवरण

मण्डलायुक्त ने परिसर के कमरों, रसोईघर, स्टोर, लाइब्रेरी, क्लासरूम और खेल मैदान का जायजा लिया। बच्चों से संवाद करते हुए उन्होंने उनके पसंदीदा विषयों, अध्ययन और भविष्य की योजनाओं के बारे में सवाल किए। बच्चों के आत्मविश्वास भरे जवाबों ने अधिकारियों को प्रभावित किया।

डिजिटल शिक्षा और खेल पर विशेष ध्यान

  • स्मार्ट क्लास की सुविधा: मण्डलायुक्त ने उपमुख्य परिवीक्षा अधिकारी श्रुति शुक्ला को निर्देश दिए कि बाल गृह में जल्द से जल्द स्मार्ट क्लास और डिजिटल बोर्ड की व्यवस्था की जाए। इससे बच्चों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
  • खेलकूद को बढ़ावा: खेल मैदान का निरीक्षण करते हुए उन्होंने झूले लगाने और खेल गतिविधियों को बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “मनोरंजन और खेल बच्चों के मानसिक विकास की रीढ़ हैं।”

साफ-सफाई और अनुशासन पर बल

शैलेन्द्र कुमार सिंह ने परिसर की नियमित सफाई, बच्चों की अनुशासित दिनचर्या और उनके मानसिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों को न केवल शिक्षा और सुरक्षा, बल्कि आत्म-सम्मान और अपनत्व का माहौल भी मिलना चाहिए।

बच्चों के चेहरों पर मुस्कान

निरीक्षण के अंत में मण्डलायुक्त ने बच्चों को खाद्य सामग्री और शिक्षण सामग्री वितरित की। सामग्री पाकर बच्चों के चेहरों पर आई मुस्कान ने माहौल को भावनात्मक बना दिया। उन्होंने कहा, “इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शिक्षा, पोषण और संस्कार की त्रिवेणी को निरंतर मजबूत करना होगा।”

संस्थान की भूमिका

इस अवसर पर संस्थान के अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षिकाएँ मौजूद रहीं। उन्होंने मण्डलायुक्त को व्यवस्थाओं की जानकारी दी और सुधार के लिए सुझाव साझा किए।

क्यों महत्वपूर्ण?

यह निरीक्षण राजकीय बाल गृह में बच्चों के समग्र विकास के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डिजिटल शिक्षा और खेल जैसी पहल बच्चों को आत्मनिर्भर और समाज से जुड़ा हुआ बनाने में मदद करेंगी।

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