आगरा: आगरा के मुरली मनोहर मंदिर, बालूगंज निवासी रिटायर्ड रेलवे अधिकारी चिंतामणि शर्मा के साथ साइबर अपराधियों ने बेहद शातिर तरीके से ठगी की। फर्जी अफसर, कोर्ट आदेश और गिरफ्तारी वारंट के नाम पर उन्हें सात दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। इस दौरान ठगों ने उनकी जिंदगीभर की पूंजी—कुल 28 लाख रुपये—लूट ली। यह मामला डिजिटल ठगी के बढ़ते खतरे को उजागर करता है, जहां मानसिक दबाव बनाकर लोगों को फंसाया जा रहा है।
कॉल से शुरू हुई डरावनी साजिश
25 सितंबर को चिंतामणि शर्मा को एक अज्ञात कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) का पीआरओ विजय कुमार बताया। उसने दावा किया कि शर्मा के आधार कार्ड से जुड़ा एक सिम कार्ड मुंबई में खरीदा गया है, जिसका इस्तेमाल अश्लील विज्ञापनों, ब्लैकमेलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों में हो रहा है। इससे घबराए शर्मा को तुरंत वीडियो कॉल पर जोड़ा गया।
फर्जी पुलिस, IPS और कोर्ट का ड्रामा
वीडियो कॉल पर पहले खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी संदीप राव बताने वाला व्यक्ति पूछताछ करने लगा। फिर फर्जी IPS विजय खन्ना ने एंट्री मारी। उन्होंने शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े राष्ट्रीय मामले में फंसने की धमकी दी। ठगों ने नरेश गोयल (पूर्व जेट एयरवेज समन्वयक) और अन्य कथित आरोपियों की फर्जी वीडियो, फोटो, डेबिट कार्ड और गिरफ्तारी दस्तावेज दिखाए। इसके बाद फर्जी FIR, प्रवर्तन निदेशालय (ED) का गिरफ्तारी वारंट और गोपनीय दस्तावेज भेजे गए। शर्मा को सख्त हिदायत दी गई कि वह किसी को भी इसकी भनक न लगने दें, वरना ‘एनकाउंटर’ कर दिया जाएगा।
शातिर ठगों ने ड्रामा को और बढ़ाते हुए कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई की वर्चुअल कोर्ट में सुना जाएगा। एक कथित वकील नवीन सिंह को उनका प्रतिनिधि बनाकर वीडियो कॉल पर फर्जी ‘सुनवाई’ कराई गई। ‘सुनवाई’ के बाद आदेश जारी हुआ कि शर्मा अपनी सभी संपत्तियों और खातों का ब्योरा ED को सौंपें। अगले दिन फर्जी IPS खन्ना ने उनके पेंशन खाते से 18 लाख में से 17 लाख रुपये मुंबई के एक खाते में ट्रांसफर करवा लिए।
पत्नी के खाते से भी लूट
ठगों का खेल यहीं नहीं रुका। उन्होंने एक और फर्जी कोर्ट आदेश और राजस्व रसीद भेजी, इसे ‘डिजिटल अरेस्ट प्रक्रिया’ बताते हुए पत्नी के खाते से 11 लाख रुपये हैदराबाद के एक खाते में ट्रांसफर करवा लिए। छुट्टियों के कारण तीसरे खाते से ट्रांसफर न होने पर ठगों का जाल टूटा।
अखबार की खबर ने खोली आंखें, FIR दर्ज
शर्मा ने एक अखबार में डिजिटल अरेस्ट की खबर पढ़ी, जिसमें ठगों के तरीके और फर्जी नामों की समानता दिखी। उन्हें ठगी का एहसास हुआ और तुरंत साइबर थाने पहुंचे। शिकायत पर FIR दर्ज कर ली गई है। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने बताया, “जांच तेजी से चल रही है। आरोपी हाई-टेक तरीके से लोगों को फंसा रहे हैं। जल्द ट्रेस करके कार्रवाई होगी।” यह मामला आगरा में डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं का हिस्सा है, जहां हाल ही में रेलवे अधिकारियों और बुजुर्गों को निशाना बनाया गया है।