नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में सर्दी की दस्तक के साथ ही हवा एक बार फिर जानलेवा हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शुक्रवार सुबह 6 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 384 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ (301-400) श्रेणी में आता है। शहर के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 19 पर AQI ‘गंभीर’ (401-500) स्तर को पार कर गया, जबकि नोएडा में स्थिति सबसे विकट रही—लगभग सभी स्टेशनों पर ‘गंभीर’ दर्जा। ग्रेटर नोएडा में AQI 380, गाजियाबाद में 351 और गुरुग्राम में 318 रहा। यह हाल तब है जब मात्र 48 घंटे पहले ही दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के प्रतिबंध हटा दिए थे।

केजरीवाल का केंद्र पर सीधा हमला: ‘समाधान न दें तो जेब काटना बंद करें’

इस बिगड़ती हवा की स्थिति पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, “साफ हवा और साफ पानी हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है। लेकिन दिल्ली और उत्तर भारत में हवा जहरीली हो गई है, फिर भी सरकार समाधान देने की बजाय जनता से टैक्स वसूल रही है।”

केजरीवाल ने आगे जोड़ा कि परिवारों को प्रदूषण से बचाने के लिए एयर प्यूरीफायर खरीदने पर 18% जीएसटी लगाना सरासर अन्याय है। उन्होंने मांग की, “केंद्र सरकार से अपील है कि एयर और वॉटर प्यूरीफायर पर जीएसटी तुरंत हटा दिया जाए, ताकि लोग कम से कम राहत भरी सांस ले सकें। अगर समाधान नहीं दे सकते, तो कम से कम लोगों की जेब पर बोझ डालना बंद करें।” यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, जहां एक ओर AAP प्रदूषण को राष्ट्रीय संकट बता रही है, वहीं केंद्र के प्रतिनिधि मौजूदा उपायों की सराहना कर रहे हैं।

80% लोग बीमार, 68% ने ली मेडिकल मदद—सर्वे में खुलासा

दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि लोगों की जिंदगी को पूरी तरह बदल रही है। कंज्यूमर रिसर्च फर्म ‘Smytten PulseAI’ के ताजा सर्वे के अनुसार, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के 4,000 लोगों (18-45+ आयु वर्ग) पर किए गए अध्ययन में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

स्वास्थ्य समस्या प्रभावित लोगों का प्रतिशत
लगातार खांसी 80% से अधिक
आंखों व सांस में जलन 80% से अधिक
अत्यधिक थकान 80% से अधिक
सांस संबंधी दिक्कतें 80% से अधिक
प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए मेडिकल मदद 68.3%

सर्वे में पाया गया कि 85.3% परिवारों पर प्रदूषण से जुड़े खर्चों का बोझ बढ़ा है, जिसमें 41.6% को गंभीर आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, 76.4% लोग आउटडोर एक्टिविटी सीमित कर चुके हैं, जबकि 79.8% दिल्ली-एनसीआर छोड़ने पर विचार कर रहे हैं—ज्यादातर पहाड़ी इलाकों या कम औद्योगिक शहरों की ओर। Smytten PulseAI के सह-संस्थापक स्वगत सरंगी ने कहा, “यह ‘प्रदूषण टैक्स’ मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है, जो स्वास्थ्य, खर्च और जीवनशैली को बदल रहा है।”

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: GRAP के बावजूद क्यों बिगड़ रही हवा?

विशेषज्ञों के अनुसार, ठंडी हवाओं, कम हवा की गति और पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषकों के कारण AQI में उछाल आया है। एयर क्वालिटी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के पूर्वानुमान के मुताबिक, अगले सप्ताह तक हवा ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ के बीच रहेगी। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि धूम्रपान करने वाले, अस्थमा रोगी, बच्चे और हृदय या श्वसन संबंधी पुरानी बीमारियों वाले लोग तुरंत स्क्रीनिंग कराएं।

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