एटा: उत्तर प्रदेश के एटा जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र में रविवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। कानपुर से दिल्ली की ओर जा रही एक निजी बस ने ककहेरा बाईपास ओवरब्रिज के पास खड़े ऑटो को जोरदार टक्कर मार दी। इस भीषण टक्कर में ऑटो सवार आठ लोग घायल हो गए, जिनमें दो की हालत चिंताजनक बनी हुई है। हादसे के बाद हाईवे पर करीब आधा घंटे तक यातायात ठप रहा, जबकि घायलों को इलाज में देरी के कारण भारी परेशानी झेलनी पड़ी।

हादसे की पूरी कहानी: तेज रफ्तार ने मचाई तबाही

ऑटो चालक जयवीर (गांव खेरिया कलां निवासी) ने बताया कि वह रविवार सुबह जिरसमी गांव से सवारियां भरकर एटा की ओर आ रहा था। ककहेरा बाईपास के पास सामने से तेज रफ्तार में आती हुई बस को देखकर उसने ऑटो रोक लिया। लेकिन बस चालक ने वाहन पर काबू नहीं रखा और सीधे खड़े ऑटो से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ऑटो पलट गया और उसमें सवार लोग सड़क पर बिखर गए। चीख-पुकार मचने लगी, जबकि बस भी क्षतिग्रस्त हो गई।

घायलों में ऑटो चालक जयवीर के अलावा शामिल हैं:

  • नेहा (17 वर्ष)
  • अनुपम (15 वर्ष)
  • निधि (7 वर्ष)
  • पूनम (18 वर्ष, गांव सूरजपुर निवासी)
  • रमेश (60 वर्ष, गांव सूरजपुर निवासी)
  • नीलम (38 वर्ष, ककहेरा निवासी)
  • सृष्टि (14 वर्ष, ककहेरा निवासी)

इनमें से नीलम और पूनम की हालत गंभीर बताई जा रही है। गांव सूरजपुर निवासी लालता प्रसाद ने बताया कि उनकी बेटियां और बहन ऑटो में सवार होकर सैनिक पड़ाव स्थित रामलीला मैदान में लगे मेले का आनंद लेने जा रही थीं। यह हादसा उनकी जिंदगी का काला अध्याय बन गया।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई, लेकिन यातायात पर असर

सूचना मिलते ही कोतवाली देहात थाने के प्रभारी जितेंद्र कुमार गौतम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने राहत कार्य संभाले और सभी घायलों को एंबुलेंस से अवंती बाई मेडिकल कॉलेज एटा भेजा। दुर्घटनाग्रस्त बस और ऑटो को क्रेन से हटवाकर यातायात बहाल कराया गया। दोनों वाहनों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है और चालकों के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का मामला दर्ज किया जाएगा। प्रारंभिक जांच में बस की तेज रफ्तार को हादसे का मुख्य कारण बताया जा रहा है।

मेडिकल कॉलेज में इलाज की पोल खुली: आधे घंटे तक कराही मां-बेटी

हादसे के बाद घायलों को मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया, लेकिन यहां इलाज में देरी ने सबको हैरान कर दिया। घायल नीलम और उनकी बेटी सृष्टि को इमरजेंसी वार्ड में लाया गया। इलाज शुरू करने से पहले एक्स-रे के लिए पुराने भवन के एक्स-रे कक्ष भेजा गया। लेकिन वहां विद्युत आपूर्ति न होने के कारण एक्स-रे नहीं हो सका। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर लगे जेनरेटर भी तुरंत चालू नहीं हो सके, जिससे मां-बेटी आधे घंटे तक दर्द से कराहती रहीं।

कर्मचारियों ने बिजली न आने का हवाला दिया, जबकि मेडिकल कॉलेज में जेनरेटर की सुविधा उपलब्ध होने का दावा किया जाता है। करीब 30 मिनट बाद बिजली बहाल हुई, तब जाकर दोनों का एक्स-रे हो सका। इस देरी ने न केवल घायलों को तकलीफ दी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को भी उजागर कर दिया।

मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. सुरेश चंद्रा ने कहा, “एक्स-रे कक्ष में विद्युत आपूर्ति न होने की जानकारी नहीं है। जेनरेटर की सुविधा उपलब्ध है, शायद स्टार्ट करने में समय लग गया हो। मामले की जांच की जाएगी।” फिलहाल, सभी घायलों का इलाज जारी है और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

  • रिपोर्ट – सुनील गुप्ता
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