आगरा। साइबर क्राइम पुलिस ने फर्जी क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये हड़पने वाले एक बड़े संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। वर्ष 2024 में कई पीड़ितों द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद जब जांच आगे बढ़ी, तो पुलिस के सामने एक ऐसा व्यापक नेटवर्क आया जिसकी जड़ें कई राज्यों तक फैली हुई थीं।
गिरोह “ASTCOIN.BIZ” नाम से एक फर्जी क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट प्लेटफ़ॉर्म चला रहा था, जिसमें निवेशकों को डिजिटल मुनाफे का भ्रम दिखाकर फंसाया जाता था। जांच से पता चला कि गिरोह ने ASTCOIN.BIZ वेबसाइट पर नकली तरीके से प्रॉफिट बढ़ाकर दिखाया हुआ था, ताकि लोगों को लगे कि उनका पैसा तेजी से बढ़ रहा है।
निवेशकों से 8,500 रुपये में आईडी बनवाई जाती थी और 1 लाख रुपये लगाने पर 7 लाख रुपये तक लौटाने का झांसा दिया जाता था। इस नेटवर्क को मजबूत करने के लिए आगरा और आसपास के जिलों के कई होटलों में बड़े-बड़े सेमिनार आयोजित किए गए। इन सेमिनारों में लगभग 1500 लोगों को जोड़ा गया। मंच पर इन्फ्लुएंसर के रूप में नरेन्द्र सिसौदिया, शुभम सिसौदिया, दीक्षा सिसौदिया और अजय जैसे लोग मौजूद रहते थे, जो विदेशी यात्राओं, महंगी गाड़ियों और बोनस का लालच देकर निवेशकों को प्रभावित करते थे।
तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने बनाई थी फर्जी वेबसाइट
एडीशनल डीसीपी आदित्य कुमार के अनुसार गिरोह में छह मुख्य सदस्य शामिल थे। इनमें कुछ तकनीकी विशेषज्ञ थे, जिन्होंने astcoinbiz@gmail.com के नाम से ईमेल बनाया और नोएडा की एक कंपनी के माध्यम से वेबसाइट विकसित कराई। वेबसाइट का सर्वर Liquid Web पर ASTSWAP यूज़रनेम से खरीदा गया था।
इस सर्वर पर आरोपियों का पूरा नियंत्रण था। जिसके माध्यम से वे निवेशकों का बैलेंस, वॉलेट और प्रॉफिट अपनी मनमर्जी से बढ़ा-घटा देते थे। तकनीकी जांच के दौरान जब पुलिस को सर्वर डेटा और ट्रांजैक्शन पैटर्न हाथ लगे, तो पूरा फर्जी सिस्टम उजागर हो गया।
पुलिस ने गिरोह के अहम सदस्य अजय उर्फ टीपू को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है । पूछताछ में उसने खुलासा किया कि उसने अपनी आईडी से ही हजारों लोगों को नेटवर्क में जोड़ा और करीब 1 करोड़ रुपये कमाए। उसने यह भी स्वीकार किया कि निवेशकों को विड्राल की कोई सुविधा नहीं दी जाती थी। स्क्रीन पर दिखने वाला मुनाफा सिर्फ एक धोखा था। कई लोग कई साल तक भ्रम में रहे कि शायद रिटर्न मिल जाएगा, लेकिन जब लंबे समय तक कोई संपर्क नहीं हुआ तो उन्होंने 2024 में जाकर शिकायत दर्ज कराई।
कोरोना काल के बाद तेजी से फैला नेटवर्क
जांच में सामने आया कि कोरोना के बाद इस गिरोह ने अपने नेटवर्क को तेजी से बढ़ाना शुरू किया। लोगों को शपथ दिलाई जाती थी कि वे कम से कम तीन साल तक इस चेन से नहीं हटेंगे। 2022 से 2023 के बीच लगातार कई राज्यों में बड़े स्तर पर लोगों को ठगा गया। पुलिस के अनुसार पिछले 5–6 वर्षों में लगभग 50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई है।
अन्य आरोपी फरार, पुलिस की दबिश जारी
अजय की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस बाकी छह मुख्य आरोपियों नरेन्द्र, शुभम, गोपाल, विनय, विनोद और सचिन स्वामी की तलाश में लगातार दबिश दे रही है। साइबर क्राइम टीम का कहना है कि गिरोह के बैंक खातों, क्रिप्टो वॉलेट्स और वित्तीय लेनदेन की गहन जांच जारी है और बाकी आरोपी भी जल्द गिरफ्त में होंगे।

