फतेहाबाद/आगरा। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, फतेहाबाद में शुक्रवार को राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत वंदे मातरम के सामूहिक गायन से हुई, जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने भावपूर्ण प्रस्तुतियां देकर देशभक्ति का संदेश दिया।
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने स्वदेशी अपनाने का संकल्प भी लिया।
राष्ट्रवाद के अग्रदूत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा वर्ष 1857 में रचित वंदे मातरम के ऐतिहासिक महत्व पर आधारित एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य (प्रशासनिक) प्रो. अरुणा त्रिपाठी ने कहा कि “वंदे मातरम स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारियों का बीज मंत्र था। इस गीत ने देशभक्तों में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की प्रेरणा जगाई।”
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राजधारी यादव ने कहा कि “स्वदेशी आंदोलन का प्रमुख नारा ‘वंदे मातरम’ विभाजन के विरोध में हुए आंदोलनों को राष्ट्रीय चेतना प्रदान करने वाला गीत था।”
इस अवसर पर डॉ. धनवंती चंचल, डॉ. नेत्रपाल सिंह, डॉ. प्रियंका, डॉ. तेजेंद्र सिंह यादव, डॉ. बेद प्रकाश सिंह, डॉ. आलोक कटारा, एवं भरत सिंह, गोपाल सिंह, किरोड़ी, सुमित सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
- रिपोर्ट – सुशील गुप्ता

