लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियों के तहत वार्डों के पुनर्गठन की प्रक्रिया जोरों पर है। मंगलवार, 29 जुलाई 2025 से 2 अगस्त 2025 तक वार्डों के पुनर्गठन के संबंध में आपत्तियां दर्ज की जाएंगी। इसके बाद, जिलाधिकारियों की अध्यक्षता वाली समिति इन आपत्तियों का निस्तारण करेगी। अधिकारियों के अनुसार, 6 अगस्त से 10 अगस्त 2025 तक वार्डों की अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी।

पंचायतीराज विभाग ने ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन के बाद अब 37 जिलों में वार्डों के पुनर्गठन का कार्य शुरू किया है। यह प्रक्रिया 18 जुलाई से शुरू हुई थी, जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर वार्डों का निर्धारण किया जा रहा है। पुनर्गठन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक परिवार एक ही वार्ड में रहे, ताकि मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

हालांकि, नगर विकास विभाग द्वारा 97 नए नगरीय निकायों के गठन और 107 निकायों की सीमा विस्तार की प्रक्रिया के कारण पंचायत चुनाव की समयसीमा पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंचायतीराज विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग से इस मुद्दे पर स्पष्टता मांगी है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस कारण पंचायत चुनाव 2026 तक टल सकते हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी शुरू कर दिया है, जो 18 जुलाई से चल रहा है। 14 अगस्त से बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाता सूची की गणना करेंगे। पंचायत चुनाव की तैयारियों को निर्धारित समयसीमा में पूरा करने के लिए सभी जिलों में अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

पिछले पंचायत चुनाव (2021) में उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत सदस्यों के 3,050, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 75,845 और ग्राम पंचायत सदस्यों के 7,32,643 वार्ड थे। इस बार शहरी निकायों के विस्तार के कारण 512 ग्राम पंचायतें कम हो गई हैं, जबकि 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है।

पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वार्डों के पुनर्गठन और मतदाता सूची के पुनरीक्षण के बाद आरक्षण प्रक्रिया अक्टूबर 2025 से शुरू होगी। पंचायत चुनाव अप्रैल-मई 2026 में होने की संभावना है, लेकिन अंतिम निर्णय शासन स्तर पर होने वाली उच्चस्तरीय बैठक पर निर्भर करेगा।

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