मुरैना/मप्र: जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत नवजात शिशुओं से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों को समग्र एवं निरंतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पदमेश उपाध्याय ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पाए जाने वाले जन्मजात दोषों, कुपोषण, विकासात्मक देरी तथा विभिन्न बीमारियों की समय पर पहचान कर उनका निःशुल्क उपचार सुनिश्चित करना है, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके और वे स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर हों।
उन्होंने बताया कि बाल स्वास्थ्य स्क्रीनिंग की प्रक्रिया जन्म के समय प्रसव स्थल पर, 0 से 6 सप्ताह तक आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर, 6 सप्ताह से 6 वर्ष तक आंगनवाड़ी केंद्रों में तथा 6 से 18 वर्ष तक स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के माध्यम से की जाती है। जिन बच्चों में किसी प्रकार की जन्मजात विकृति पाई जाती है, उन्हें विशेष जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डी.ई.आई.सी.) में रेफर किया जाता है, जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा आवश्यक जाँच एवं उपचार की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
जिले में 01 अप्रैल 2025 से नवम्बर 2025 तक लगभग 2,17,288 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित 843 बच्चों की सर्जरी कराई गई है। इनमें दिल के छेद वाले 12, नेत्र संबंधी 4, कान की सर्जरी 2, बहरेपन के 3, कटे होठ एवं तालु के 30, टेढ़े पैर (क्लब फुट) के 69, डेंटल सर्जरी 460, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट 7 तथा अन्य श्रेणी की 251 सर्जरियाँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त टेढ़े पैर वाले 25 बच्चों को विशेष जूते उपलब्ध कराए गए। कुल सर्जरी वाले बच्चों की संख्या 848 है।
जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 14 टीमें संचालित हैं, जिनके माध्यम से जिला एवं विकासखंड स्तर पर अब तक 66,289 बच्चे कन्फर्म पाए गए, जिनमें से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला चिकित्सालय में 65,266 बच्चों का निःशुल्क उपचार किया जा चुका है। कार्यक्रम में कटे-फटे होठ एवं तालू, मोतियाबिंद, क्लब फुट, हृदय रोग, आर.ओ.पी. सहित अन्य जन्मजात जटिल बीमारियों का उपचार निरंतर जारी है।
स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से अपील की है कि यदि परिवार या आसपास के किसी भी बच्चे अथवा किशोर में कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या दिखाई दे, तो तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला चिकित्सालय मुरैना के नवीन भवन की तीसरी मंजिल (डी.ई.आई.सी.), कक्ष क्रमांक 42 में ले जाकर जाँच कराएँ, ताकि समय पर उपचार संभव हो सके।
- रिपोर्ट – मुहम्मद इसरार खान

