एटा: जिले के जलेसर थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 15 वर्षीय किशोरी भावना को केवल यह कहने की सजा मिली कि वह अपने छोटे भाई के साथ पढ़ना चाहती है। मां मालती देवी ने न केवल उसकी पिटाई की, बल्कि उसे पुलिस चेक पोस्ट पर छोड़कर चली गई। जब पुलिस किशोरी को मां के पास वापस ले गई, तो मां ने उसे अपने साथ रखने से इनकार कर दिया। इसके बाद किशोरी को नोएडा के बाल आश्रय स्थल भेजा गया और उसके माता-पिता के खिलाफ परित्याग का मुकदमा दर्ज किया गया।

25 जुलाई 2025 को जलेसर के सियादेवी गर्ल्स कॉलेज कैंपस में रहने वाली मालती देवी अपनी 15 वर्षीय बेटी भावना को पुलिस चेक पोस्ट के पास छोड़कर चली गई। रोती हुई किशोरी को देखकर आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। जलेसर थाने के उपनिरीक्षक जयवीर सिंह ने बताया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किशोरी से पूछताछ की। भावना ने बताया कि उसने अपनी मां मालती देवी से अपने छोटे भाई राम के साथ पढ़ाई करने की इच्छा जताई थी।

इस बात पर मां का गुस्सा भड़क गया। उसने पहले तो भावना की पिटाई की और फिर पिता डिगंबर सिंह से शिकायत की। नाराज पिता ने भी बेटी को पीटा। इसके बाद मां उसे खींचते हुए पुलिस चेक पोस्ट पर ले गई और वहां छोड़कर चली गई। काफी देर तक मां के वापस न लौटने पर पुलिस ने भावना को उसके बताए पते पर ले जाकर मां से संपर्क किया, लेकिन मालती देवी ने बेटी को अपने साथ रखने से साफ मना कर दिया।

माता-पिता के खिलाफ मुकदमा

भावना की तहरीर पर जलेसर थाने में माता-पिता, मालती देवी और डिगंबर सिंह, के खिलाफ परित्याग का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। सीओ जलेसर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि किशोरी को नोएडा स्थित बाल आश्रय स्थल में भेज दिया गया है, जहां उसकी देखभाल की जा रही है।

परिवार का पृष्ठभूमि

मालती देवी एक स्कूल और अस्पताल में सफाईकर्मी का काम करती हैं, जबकि पिता डिगंबर सिंह दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। डिगंबर अपने बेटे राम को तो अपने साथ दिल्ली ले गए, लेकिन बेटी भावना को साथ रखने से मना कर दिया। इस घटना ने न केवल परिवार की कठोर मानसिकता को उजागर किया है, बल्कि समाज में बेटियों के प्रति भेदभाव की समस्या को भी सामने लाया है।

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच

सीओ ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है। माता-पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किशोरी के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया और परिवार की क्या परिस्थितियां थीं।

सामाजिक चिंता

यह घटना बेटियों के प्रति परिवारों में व्याप्त भेदभाव और शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की गंभीर समस्या को दर्शाती है। भावना की कहानी समाज के लिए एक चेतावनी है कि लड़कियों को शिक्षा और सम्मान का समान अधिकार मिलना चाहिए।

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