आगरा। बीएलओ ड्यूटी को लेकर अधिकारी शिक्षामित्रों पर इतना दबाब डाल रहे हैं कि शिक्षामित्र मजबूर होकर त्याग पत्र देने को मजबूर हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर ने कहा है कि पैसे और सिफारिश से पूर्व से ड्यूटी में लगे शिक्षकों की ड्यूटी काटकर शिक्षामित्रों पर जबर्दस्ती पंचायत बीएलओ की डयूटी थोपी जा रही है पुरुषों के स्थान पर महिलाओं की ड्यूटी लगायी जा रही है ये कहाँ तक जायज है ड्यूटी न करने पर अनावश्यक दबाब डाला जा रहा है जबकि सभी को पता है शिक्षामित्रों की नियुक्ति ग्राम पंचायत स्तर पर हुई है।

गाँव का स्थानीय निवासी होने की बजह से शिक्षामित्रों पर तमाम तरह के पक्षपात करने के आरोप प्रत्यारोप लगते हैं तथा गाँव में आपसी पार्टी बंदी होने के कारण पूर्व में भी मारपीट की घटना घटित होती रही हैं।

बीएलओ ड्यूटी को लेकर अधिकारियों द्वारा शिक्षामित्रों का पक्ष  सुने बगैर उन्हें इस कदर मानसिक रूप से प्रताणित किया जा रहा है कि वो नोकरी से त्यागपत्र देने को मजबूर हो रहे हैं इस कदर ज्यादती की जा रही है कि पहले तो स्वस्थ व्यक्तियों की ड्यूटी काटकर दिव्यांग शिक्षामित्र को बीएलओ बना दिया गया।

अब ड्यूटी लेने का दबाब बनाया जा रहा है इससे शिक्षामित्र मानसिक तनाब में हैं जबकि चुनाब आयोग द्वारा समूह ग से ऊपर के ब्यक्ति को बीएलओ बनाये जाने के निर्देश जारी किए गए थे जबकि शिक्षामित्र संविदा कर्मी की श्रेणी में आते हैं जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने कहा है कि शिक्षामित्रों को प्रतिमाह जो अल्प मानदेय मिलता है उससे परिवार का गुजारा नहीं होता है।

स्कूल से छुट्टी के बाद मजदूरी इत्यादि कार्य कर परिवार का पालन पोषण करते हैं  किसी भी शिक्षामित्र का शोषण नहीं होने दिया जायेगा । यदि मानसिक अवसाद में आकर कोई शिक्षामित्र आत्मघाती कदम उठाता है तो इसकी जिम्मेदारी शासन,प्रशासन की होगी ।

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