आगरा। महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाह के भतीजे हर्ष दिवाकर (हर्ष चौधरी) द्वारा नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम के साथ की गई गाली-गलौज, धमकी, धक्का-मुक्की और मारपीट के मामले में तहरीर दिए जाने के तीसरे दिन भी मुकदमा दर्ज न होने से आज नगर निगम में उबाल फूट पड़ा। नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का धैर्य जवाब दे गया और पूरे निगम परिसर को लॉकडाउन-स्टाइल में बंद करते हुए सभी चैनल गेटों पर ताले जड़ दिए गए। अधिकारियों-कर्मचारियों ने साफ एलान कर दिया कि मेयर के भतीजे हर्ष दिवाकर पर एफआईआर और उसकी तत्काल गिरफ्तारी के बिना नगर निगम में कोई काम नहीं होगा।
पिछले रविवार सुबह एकलव्य स्टेडियम में यह अभद्रता उस समय हुई थी जब सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम एक कार्यक्रम में निगम प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद थे। अशोक प्रिय गौतम के अनुसार, उन्हें देखते ही हर्ष दिवाकर गाली-गलौज पर उतर आया, धक्का-मुक्की शुरू कर दी और मारपीट करते हुए खुलेआम धमकी दी कि अगर नगर आयुक्त का साथ नहीं छोड़ा तो पिटाई कराऊंगा और जान से भी हाथ धोना पड़ेगा। मौके पर मौजूद कुछ लोगों के बीच में पड़ने पर यह शर्मनाक घटनाक्रम रुका।
घटना के उसी दिन शाम को सहायक नगर आयुक्त ने पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त शहर समेत शीर्ष पुलिस अधिकारियों को पूरी घटना के बारे में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन बीते कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगरा दौरे के चलते तहरीर पर एफआईआर दर्ज न होना किसी की प्राथमिकता नहीं बना। हालांकि कल भी नगर निगम के कर्मचारियों ने परिसर में एकजुट होकर हर्ष दिवाकर के खिलाफ नारेबाजी की और मुकदमा दर्ज कराने की मांग उठाई थी।
इसके बावजूद जब तीसरे दिन भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो कर्मचारियों का आक्रोश आज विस्फोटक रूप ले गया। आज सुबह दफ्तर खुलते ही कर्मचारियों के बीच यही चर्चा थी कि अशोक प्रिय गौतम पर हमला हुआ पर मुकदमा नहीं लिखा गया। कुछ ही मिनटों में सभी कर्मचारी दफ्तरों से बाहर निकल आए और नगर निगम के मुख्य सहित सभी चैनल गेट बंद कर दिए। तालाबंदी के साथ कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया कि जब तक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई नहीं होगी, नगर निगम में कोई काम नहीं चलेगा। कर्मचारी गेट पर एकत्रित होकर गुंडागर्जी नहीं चलेगी जैसै नारे लगा रहे हैं।
नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त के साथ मारपीट जैसे गंभीर मामले में भी पुलिस के मुकदमा न लिखने पर हर कोई हैरान है। तहरीर मिलने के बाद भी एफआईआर दर्ज न होना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि पुलिस पर भारी दबाव है। अब जब कर्मचारी दफ्तरों से बाहर निकल आए हैं, तो पुलिस प्रशासन के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। अभी केवल नगर निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। अगर यही आंदोलन सफाई कर्मचारियों तक पहुंच गया, तो शहर में बड़ा संकट पैदा होना तय है।

