मुरैना: जिले की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कलेक्टर श्री लोकेश कुमार जांगड़ ने शनिवार को शिक्षा अधिकारियों की बैठक में कड़े तेवर दिखाए। “अब कागजी आंकड़े नहीं, धरातल पर रिजल्ट चाहिए” – यह संदेश स्पष्ट करते हुए कलेक्टर ने कई ठोस और सख्त निर्देश जारी किए।

मुख्य निर्देश एक नजर में:

  • बच्चा स्कूल न आए तो रोज अभिभावक को फोन करें शिक्षक लगातार 3 दिन अनुपस्थित रहने पर शिक्षक खुद बच्चे के घर जाएं। कारण, बातचीत का समय और किससे बात हुई, सब कुछ रजिस्टर में लिखें।
  • ई-अटेंडेंस नहीं तो दिसंबर का वेतन रोका जाएगा शिक्षक ऐप पर रोज ई-अटेंडेंस अनिवार्य। गड़बड़ी करने वालों का वेतन तुरंत रोकने के आदेश।
  • रोज सुबह 10:30 बजे राष्ट्रगान से शुरू होगा स्कूल उच्चारण में जरा सी गलती भी बर्दाश्त नहीं होगी।
  • मिड-डे मील खराब मिला तो प्रधानाध्यापक होंगे जिम्मेदा गुणवत्ता, स्वच्छता और पोषण की रोज जांच अनिवार्य। शिकायत मिली तो तुरंत सख्त कार्रवाई।
  • सभी स्कूलों में 100% नए ग्रीन बोर्ड लगें स्कूल कंटिंजेंसी फंड से तुरंत लगवाने के आदेश।
  • हर महीने पीटीएम अनिवार्य, कक्षा 1-2 को सबसे ज्यादा प्राथमिकता एफएलएन टाइम-टेबल का सख्ती से पालन हो। कक्षा 1-2 के 10 बेहतरीन शिक्षकों को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाएगा।
  • फर्जी डेटा और कम निरीक्षण करने वालों को कारण बताओ नोटिस बैठक में ही कई अधिकारियों को तत्काल नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए। इनमें बीआरसी, बीईओ, सीएसी, डीआईईटी व्याख्याता आदि शामिल हैं।

कलेक्टर ने स्पष्ट चेतावनी दी, “अब मॉनिटरिंग औपचारिक नहीं, वास्तविक शिक्षण गुणवत्ता पर आधारित होगी। जो अधिकारी भ्रमित रिपोर्टिंग करेंगे या निरीक्षण में कोताही बरतेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

उन्होंने अंबाह को रेड जोन और कैलारस को ग्रीन जोन बताने वाले आंकड़ों की दोबारा जांच के लिए 6 अधिकारियों की टीम गठित की। साथ ही रात्रिकालीन चौपाल लगाकर अभिभावकों से सीधा संवाद बढ़ाने के निर्देश सीएसी को दिए।

कलेक्टर ने कहा, “शिक्षा सुधार कागजों पर नहीं, बच्चों के चेहरे की मुस्कान और उनकी पढ़ाई में दिखना चाहिए। अगली बैठक तक हर मोर्चे पर मापने योग्य सुधार दिखना चाहिए।”

बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री कमलेश भार्गव, जिला शिक्षा अधिकारी श्री सुधीर सक्सेना सहित सभी बीईओ, बीआरसी, सीएसी उपस्थित रहे।

शिक्षा में क्रांति की शुरुआत या सिर्फ सख्ती? अगली समीक्षा बैठक बताएगी!

  • रिपोर्ट – मुहम्मद इसरार खान

दैनिक जिला नज़र – (नजरिया सच का) प्रिंट & सोशल मीडिया न्यूज़ नेटवर्क दैनिक जिला नज़र सत्यनिष्ठ पत्रकारिता और जनपक्षीय विचारधारा का विश्वसनीय मंच है। हम समाचारों को केवल प्रसारित नहीं करते—बल्कि उन्हें प्रमाणिकता, नैतिकता और गहन विवेक के साथ पाठकों तक पहुँचाते हैं। स्थानीय सरोकारों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक, हर सूचना को हम निष्पक्ष दृष्टि, आधुनिक संपादकीय मानकों और जिम्मेदार मीडिया आचरण के साथ प्रस्तुत करते हैं। प्रिंट की गरिमा और डिजिटल की गति—दोनों का संतुलित संगम है "जिला नज़र"। हमारा ध्येय है— सत्य को स्वर देना, समाज को दिशा देना। दैनिक जिला नज़र जहाँ समाचार विश्वसनीयता की भाषा बोलते हैं।

error: Content is protected !!
Exit mobile version