मुरैना/मप्र। विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर 2025) के अवसर पर चंबल के बीहड़ों में एक अनोखा और सराहनीय आयोजन हुआ। सुजागृति समाजसेवी संस्था मुरैना ने डावर फर्टिलाइजर कंपनी के सहयोग से पिपरई (पटवारी प्रशिक्षण केंद्र के पीछे) में सैकड़ों गूगल (महँगी गोंद वाली प्रजाति) के पौधे रोपे। इस कार्यक्रम में ग्रामीण हितग्राही किसान, महिलाएँ और कला पथक दल के कलाकारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

संस्था अध्यक्ष जाकिर हुसैन ने बताया, “चंबल का बीहड़ इलाका मिट्टी कटाव की सबसे बड़ी मार झेल रहा है। ऊपरी परत बह चुकी है, उपजाऊ जमीन बंजर होती जा रही है। लेकिन ईश्वर ने इसी बीहड़ को सबसे महँगा लघुवन उत्पाद भी दिया है – गूगल (गोंद वाला पौधा)। एक किलो शुद्ध गोंद की कीमत 8 से 12 हजार रुपए तक होती है। यह गरीब परिवारों की मुख्य आजीविका है। अगर हम गूगल की प्रजाति को नहीं बचाएँगे तो आने वाले समय में यह विलुप्त हो जाएगी और हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएँगे।”

कार्यक्रम की खास बातें:

  • सबसे पहले मृदा संरक्षण और जैविक खेती पर गोष्ठी आयोजित की गई
  • सभी अतिथियों व ग्रामीणों ने खुद अपने हाथों से एक-एक गूगल का पौधा रोपा
  • गूगल की जड़ें गहरी होने से मिट्टी कटाव रुकता है और भूमिगत जल स्तर भी बढ़ता है
  • यह पौधा 8-10 साल में तैयार होता है और एक पेड़ से 50-60 किलो तक गोंद निकलता है
  • इससे एक परिवार सालाना 4-5 लाख रुपए तक कमा सकता है

पिपरई गांव के मालिक राम, रामकदयाराम, छोटेलाल, रामवती, कलावती सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने पौध रोपण में हिस्सा लिया। अंत में सभी ने संकल्प लिया:

“हम मिट्टी बचाएँगे, गूगल बचाएँगे, जैविक खेती अपनाएँगे और आने वाली पीढ़ी को हरी-भरी उपजाऊ धरती सौंपेंगे।”

संस्था ने ऐलान किया है कि अगले तीन साल में चंबल के बीहड़ क्षेत्र में 1 लाख गूगल के पौधे रोपे जाएँगे। यह अपने आप में मध्य भारत की सबसे बड़ी मृदा संरक्षण + आजीविका जनरेशन परियोजना बनेगी।

  • रिपोर्ट – मुहम्मद इसरार खान 

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