रिपोर्ट- मु. इसरार खान, ब्यूरो चीफ
मुरैना/मप्र। मध्यप्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए शासन ने कड़ा कदम उठाया है। हर साल देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025), बसंत पंचमी (23 जनवरी 2026), अक्षय तृतीया (19 अप्रैल 2026) और अन्य विवाह मुहूर्तों के दौरान होने वाले एकल व सामूहिक विवाह समारोहों में बाल विवाह की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने विकासखंड और तहसील स्तर पर निगरानी दलों का गठन किया है।
निगरानी दल का गठन
कलेक्टर श्री लोकेश कुमार रामचंद्र जांगिड़ के निर्देशानुसार, इन निगरानी दलों में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। दल के सदस्यों में अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस), सीएसपी पुलिस, परियोजना अधिकारी (बाल विकास परियोजना), मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जनपद पंचायत), तहसीलदार, खंड चिकित्सा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, थाना प्रभारी और नगर निरीक्षक शामिल हैं। ये दल विवाह समारोहों की निगरानी करेंगे और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
कंट्रोल रूम और रिपोर्टिंग
विवाह मुहूर्तों के दौरान विकासखंड मुख्यालयों पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे। निगरानी दलों को बाल विवाह रोकने की कार्रवाई का विवरण और रोके गए बाल विवाहों की जानकारी निर्धारित प्रारूप में जिला कार्यकम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, मुरैना को उपलब्ध करानी होगी। यह जानकारी संकलित कर शासन को भेजी जाएगी।
बाल विवाह के खिलाफ सख्ती
प्रदेश सरकार का यह कदम बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण है। निगरानी दलों के गठन से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में होने वाले विवाह समारोहों पर कड़ी नजर रखी जाएगी, ताकि बाल विवाह को प्रभावी रूप से रोका जा सके।
यह खबर सामाजिक जागरूकता और प्रशासनिक सक्रियता का प्रतीक है, जो मध्यप्रदेश में बाल विवाह उन्मूलन की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

