रिपोर्ट- मु. इसरार खान ब्यूरो चीफ, मुरैना
मुरैना/मप्र। बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक कुरीति है, जो बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल देती है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 लागू किया है। इसके तहत न केवल माता-पिता, बल्कि विवाह कराने वाले धर्मगुरु (पंडित, मौलवी आदि), सेवाप्रदाता (टेंटवाले, हलवाई, बाजेवाले, घोड़ेवाले), मुद्रक (विवाह पत्रिका छापने वाले), और विवाह में शामिल होने वाले बाराती व घराती भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएंगे।
कलेक्टर श्री लोकेश कुमार रामचन्द्र जांगिड़ ने सभी माता-पिताओं से अपील की है कि वे अपने बच्चों का विवाह निर्धारित आयु (लड़की 18 वर्ष, लड़का 21 वर्ष) से पहले किसी भी स्थिति में न करें। साथ ही, विवाह से जुड़े सेवाप्रदाताओं और आम जनता से अनुरोध है कि वे ऐसे आयोजनों में भाग न लें और न ही अपनी सेवाएं दें। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
विशेष दिशा-निर्देश:
आयु सत्यापन अनिवार्य: धर्मगुरु, सेवाप्रदाता और मुद्रकों को वर-वधु की आयु सत्यापित करने के लिए मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची या स्कूल टी.सी. की सत्यापित प्रति संग्रहित करनी होगी। आयु निर्धारित सीमा से कम होने पर विवाह पत्रिका छापने या सेवाएं देने से बचें।
सूचना देने की जिम्मेदारी: यदि किसी को बाल विवाह की जानकारी मिले, तो तुरंत जिला या ब्लॉक स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें। सूचनाकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
कानूनी परिणाम: बाल विवाह में संलिप्त सभी व्यक्तियों, सेवाप्रदाताओं और मुद्रकों के खिलाफ बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कार्रवाई होगी।
आइए, मिलकर बाल विवाह को रोकें और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करें!
संपर्क: महिला एवं बाल विकास विभाग, मुरैना (मप्र)

