लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आधार कार्ड को अब जन्म प्रमाण पत्र या जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। नियोजन विभाग ने सभी सरकारी विभागों को इसकी सख्ती से पालना करने के निर्देश जारी किए हैं। विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि आधार कार्ड के साथ जन्म से संबंधित कोई प्रमाणिक विवरण संलग्न नहीं होता, इसलिए इसे जन्म तिथि या जन्म प्रमाण पत्र के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती। यह फैसला यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के 31 अक्टूबर 2025 के पत्र पर आधारित है, जिसमें आधार को जन्म प्रमाण के रूप में अस्वीकार्य घोषित किया गया।
नई व्यवस्था: अस्पताल का डिस्चार्ज कार्ड या स्थानीय प्रमाण-पत्र ही चलेगा
इस नई नीति के तहत जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों को आधार कार्ड के स्थान पर वैकल्पिक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। अस्पताल में जन्म होने पर डिस्चार्ज कार्ड या सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा, जबकि घरेलू जन्म के मामले में स्थानीय प्राधिकरण (जैसे पंचायत या नगर निगम) द्वारा जारी प्रमाण-पत्र ही मान्य होगा। अन्य वैकल्पिक दस्तावेजों में हाईस्कूल मार्कशीट, पासपोर्ट या पैन कार्ड शामिल हैं, लेकिन आधार अब केवल पहचान प्रमाण के रूप में सीमित रहेगा।
| वैकल्पिक दस्तावेज | लागू स्थिति |
|---|---|
| अस्पताल डिस्चार्ज कार्ड/सर्टिफिकेट | अस्पताल जन्म के लिए अनिवार्य |
| स्थानीय प्राधिकरण प्रमाण-पत्र | घरेलू जन्म के लिए |
| हाईस्कूल मार्कशीट | शैक्षणिक प्रमाण के रूप में |
| पासपोर्ट/पैन | सहायक दस्तावेज के रूप में |
महाराष्ट्र में भी सख्ती: 2023 संशोधन के बाद आधार-आधारित प्रमाण-पत्र रद्द
यूपी के इस फैसले से पहले महाराष्ट्र सरकार ने भी फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्रों पर रोक लगाने के लिए समान आदेश जारी किया था। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने स्पष्ट किया कि देरी से जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की स्थिति में आधार कार्ड को दस्तावेज के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगस्त 2023 में जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के बाद केवल आधार पर जारी सभी प्रमाण-पत्र अवैध माने जाएंगे और इन्हें रद्द कर दिया जाएगा।
महाराष्ट्र के राजस्व विभाग की 16-सूत्री सत्यापन गाइडलाइन के अनुसार, 11 अगस्त 2023 के बाद उप-तहसीलदारों द्वारा जारी सभी संदिग्ध प्रमाण-पत्र तत्काल वापस लिए जाएंगे। यदि आधार और आवेदन में जन्म तिथि में विसंगति पाई जाती है, तो पुलिस में एफआईआर दर्ज होगी। विभाग ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि दोषी पाए जाने पर कार्रवाई होगी, और फरार लाभार्थियों को ‘भगोड़ा’ घोषित किया जाएगा।
उद्देश्य: फर्जीवाड़ा रोको, प्रक्रिया मजबूत करो
दोनों राज्यों का यह कदम केंद्र सरकार की गाइडलाइन से प्रेरित है, जो दस्तावेजीकरण में एकरूपता लाने और दुरुपयोग रोकने पर जोर देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अवैध प्रवास, कल्याण योजनाओं का दुरुपयोग और चुनावी रोल में फर्जीवाड़ा कम होगा। हालांकि, आम नागरिकों को अब अतिरिक्त दस्तावेज जुटाने में परेशानी हो सकती है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

