झालावाड़/राज.। राजस्थान के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना क्षेत्र के पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें सरकारी स्कूल की जर्जर छत अचानक ढह गई। इस दर्दनाक घटना में अब तक 10 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। घायल बच्चों को मनोहर थाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और झालावाड़ के बड़े अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत नाजुक बनी हुई है।

हादसे का विवरण
सुबह करीब 8:30 बजे, जब बच्चे स्कूल में प्रार्थना के लिए इकट्ठा हुए थे, तभी उच्च प्राथमिक विद्यालय की एक कमजोर इमारत की छत अचानक गिर गई। बताया जा रहा है कि इस कमरे में 7वीं कक्षा के करीब 35 बच्चे मौजूद थे। हादसे के समय शिक्षक कक्षा से बाहर थे, जिसके चलते तत्काल सहायता नहीं मिल सकी। स्थानीय ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन मलबे में दबे कई बच्चों को बचाया नहीं जा सका। पुलिस और प्रशासन की टीमें भी मौके पर पहुंचीं, और जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है।

जर्जर स्कूल भवन: लापरवाही का नतीजा
हादसे ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग ने जुलाई में ही जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे, लेकिन पीपलोदी स्कूल में कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत लंबे समय से खराब हालत में थी, और इसकी शिकायत कई बार की गई थी, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने इमारत की कमजोर स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिसे हादसे का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

सरकार पर उठ रहे सवाल
इस हादसे के बाद राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने घटना पर दुख जताया और घायल बच्चों के इलाज का खर्च सरकार द्वारा उठाने का ऐलान किया है। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं, जिसमें दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया गया है। हालांकि, मंत्री का यह बयान कि “एक साथ सभी स्कूलों को ठीक करना संभव नहीं” ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। विपक्षी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे प्रशासनिक लापरवाही करार देते हुए घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे “सिर्फ हादसा नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की आपराधिक लापरवाही” बताया है।

मुआवजे पर चुप्पी, जनता में आक्रोश
हादसे के कई घंटे बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से मृतक बच्चों के परिवारों के लिए किसी मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है, जिससे स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ रहा है। सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए और सभी सरकारी स्कूलों की इमारतों का ऑडिट कराकर मरम्मत कार्य शुरू किया जाए।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर गहरा दुख जताया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मेरी संवेदनाएं प्रभावित छात्रों और उनके परिवारों के साथ हैं।” वहीं, सीएम शर्मा ने घायल बच्चों के समुचित इलाज के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

आगे क्या?
यह हादसा राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति का एक दुखद उदाहरण है। विशेषज्ञों और स्थानीय नेताओं का कहना है कि जब तक स्कूल भवनों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, ऐसी त्रासदियां दोहराई जा सकती हैं। जनता अब सरकार से न केवल मुआवजे की उम्मीद कर रही है, बल्कि यह भी चाहती है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाएं।

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