नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति पद पर एक बार फिर ‘राधाकृष्णन’ नाम सुर्खियों में है। जी हां, चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन, जिन्हें सीपी राधाकृष्णन के नाम से जाना जाता है, भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। यह तीसरा मौका है जब इस प्रतिष्ठित पद पर ‘राधाकृष्णन’ नाम देखने को मिल रहा है। इससे पहले भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और बाद में राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1952 से 1962 तक दो बार इस पद को संभाला था। लेकिन इस बार कहानी अलग है। सीपी राधाकृष्णन एक अलग व्यक्तित्व हैं, जिनका तमिलनाडु से गहरा नाता और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी निष्ठा है। आइए, इस ऐतिहासिक संयोग और सीपी राधाकृष्णन के सफर को विस्तार से जानते हैं।
समान नाम, समान जड़ें, लेकिन अलग व्यक्तित्व
सीपी राधाकृष्णन और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बीच कुछ रोचक समानताएं हैं। दोनों का जन्म तमिलनाडु में हुआ और दोनों भारतीय संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं के प्रति अपने गहरे रुझान के लिए जाने जाते हैं। जहां डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दार्शनिक, शिक्षाविद और ‘शिक्षक दिवस’ के प्रेरक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई, वहीं सीपी राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ अपने लंबे राजनीतिक करियर में दक्षिण भारत में अपनी पहचान बनाई।
सीपी राधाकृष्णन को तमिलनाडु में ‘मोदी’ के रूप में जाना जाता है, जो उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली का प्रतीक है। उनके समर्थक उन्हें ‘कोयंबटूर का वाजपेयी’ भी कहते हैं, जो उनकी वाकपटुता और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है। यह पहली बार है जब भारत के उपराष्ट्रपति पद पर एक ही उपनाम वाले व्यक्ति का चयन हुआ है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक संयोग है।
सीपी राधाकृष्णन: एक नजर में
जन्म: 20 अक्टूबर 1957, तिरुपुर, तमिलनाडु
शिक्षा: वी.ओ. चिदंबरम कॉलेज, तूतीकोरिन से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक
राजनीतिक संबद्धता: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)
प्रमुख उपलब्धियां:
🔹कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद (1998, 1999
🔹तमिलनाडु BJP के अध्यक्ष (2004-2007)
🔹झारखंड और महाराष्ट्र के राज्यपाल
🔹उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में 452 वोटों के साथ जीत
राजनीतिक सफर: RSS से उपराष्ट्रपति तक
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन 16 साल की उम्र में शुरू हुआ, जब वे 1973 में RSS के स्वयंसेवक बने। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की तमिलनाडु इकाई की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य चुने गए। 1990 के दशक में वे BJP के साथ सक्रिय रूप से जुड़े और 1996 में तमिलनाडु BJP के सचिव बने।
1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने तमिलनाडु में BJP की उपस्थिति को मजबूत किया। खासकर 1998 का चुनाव, जो कोयंबटूर बम धमाकों के बाद हुआ, उनकी जीत को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। इस दौरान उन्होंने 1,50,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
2004 से 2007 तक तमिलनाडु BJP के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने 19,000 किलोमीटर लंबी ‘रथ यात्रा’ निकाली, जिसका उद्देश्य भारतीय नदियों का एकीकरण, आतंकवाद विरोध और अस्पृश्यता उन्मूलन था। इसके बाद, वे झारखंड (2023), तेलंगाना, और पुडुचेरी के राज्यपाल बने, और जुलाई 2024 में महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल नियुक्त हुए।
2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में, सीपी राधाकृष्णन ने NDA के उम्मीदवार के रूप में विपक्ष के जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया, जिसमें उन्हें कुल 452 वोट मिले। यह जीत उनकी राजनीतिक सूझबूझ और NDA की मजबूत रणनीति का परिणाम थी।
तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति भवन तक
सीपी राधाकृष्णन दक्षिण भारत से पहले OBC नेता हैं, जिन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है। उनकी यह उपलब्धि तमिलनाडु में BJP के लिए एक मील का पत्थर है, जहां क्षेत्रीय दल जैसे DMK और AIADMK का दबदबा रहा है। उनकी लोकप्रियता और सभी दलों के बीच सम्मान ने उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाया।
उनके समर्थकों द्वारा ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहे जाने का कारण उनकी कार्यशैली और जनता से जुड़ाव है। उन्होंने तमिलनाडु में BJP की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर तब जब 1998 में कोयंबटूर बम धम彼此
भारतीय संस्कृति के प्रति रुझान
सीपी राधाकृष्णन की तरह ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी भारतीय संस्कृति और दर्शन के प्रबल समर्थक थे। जहां सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय वेदांत और उपनिषदों को विश्व स्तर पर प्रचारित किया, वहीं सीपी राधाकृष्णन ने अपनी रथ यात्रा और सार्वजनिक जीवन में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा दिया। उनकी 19,000 किलोमीटर की रथ यात्रा, जिसमें नदियों के एकीकरण और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों को उठाया गया, भारतीय संस्कृति के प्रति उनके गहरे लगाव को दर्शाती है।
चुनौतियां और भविष्य की भूमिका
उपराष्ट्रपति के रूप में सीपी राधाकृष्णन के सामने राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। उनकी निष्पक्षता और अनुभव, खासकर विभिन्न राज्यों में राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, इस भूमिका में महत्वपूर्ण साबित होंगे। तमिलनाडु में उनके अच्छे संबंध और सभी दलों के बीच सम्मान उन्हें इस पद पर प्रभावी बनाएगा।
संपत्ति और व्यक्तिगत जीवन
2019 के आंकड़ों के अनुसार, सीपी राधाकृष्णन की कुल संपत्ति 67,11,40,166 रुपये है। वे एक उत्साही खेल प्रेमी हैं, जिन्होंने कॉलेज स्तर पर टेबल टेनिस में चैंपियनशिप जीती और लंबी दूरी की दौड़, क्रिकेट, और वॉलीबॉल में भी रुचि रखते हैं।
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना न केवल उनके व्यक्तिगत करियर का शिखर है, बल्कि यह तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है। उनके नाम का डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के साथ संयोग और उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति निष्ठा उन्हें इस पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है। उनके नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति भवन में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जो भारतीय राजनीति और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
___________