आगरा: उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। उनके फर्जी लेटर पैड और आधिकारिक मोहर का इस्तेमाल कर मिशनरी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन और सरकारी विभागों में विभिन्न सिफारिशें की गईं। पुलिस ने मंत्री के प्रतिनिधि की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जांच में 40 से अधिक फर्जी पत्र बरामद हो चुके हैं, जो इस घोटाले की गहराई को उजागर कर रहे हैं।
मामला कैसे खुला?

यह मामला तब सामने आया जब एक जरूरतमंद बच्चे की मदद के लिए मंत्री के कार्यालय से एक असली सिफारिशी पत्र मिशनरी स्कूल को भेजा गया। स्कूल प्रशासन को संदेह हुआ, क्योंकि उनके पास पहले से ही मंत्री के नाम से एक फर्जी पत्र आ चुका था। तुलना करने पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। आगरा के सेंट फेलिक्स और सेंट पैट्रिक्स जैसे प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूलों में एडमिशन के लिए ये नकली पत्र इस्तेमाल किए गए थे। इसके अलावा, सरकारी विभागों में भी सिफारिशें भेजी गईं, जिससे कई लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई।

मंत्री बेबी रानी मौर्य, जो महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग संभाल रही हैं, ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उनके प्रतिनिधि ने बताया कि यह पत्र उनके नाम और पद का दुरुपयोग है, जो न केवल उनकी छवि को धूमिल करता है, बल्कि जरूरतमंद लोगों के हितों को भी प्रभावित करता है। प्रतिनिधि की शिकायत पर एत्मादपुर थाने में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (जालसाजी का दुरुपयोग) और 471 (जालसाजी वाले दस्तावेज का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
फर्जी पत्रों की संख्या और तरीका

पुलिस जांच में अब तक 40 से अधिक फर्जी लेटर पैड बरामद हो चुके हैं। इनमें मंत्री के नाम, पदनाम, आधिकारिक मोहर और सिग्नेचर की नकल की गई थी। आरोपी व्यक्ति ने इनका इस्तेमाल कर स्कूलों में एडमिशन के अलावा सरकारी योजनाओं में लाभ दिलाने के लिए सिफारिशें कीं। सूत्रों के अनुसार, यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और आगरा के अलावा आसपास के जिलों में भी फैला हो सकता है। पुलिस अब आरोपी की तलाश में छापेमारी कर रही है।
मंत्री का बयान और आगे की कार्रवाई

मंत्री बेबी रानी मौर्य ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मेरा नाम और पद का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।” पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर सेल की मदद से डिजिटल ट्रेसिंग शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना सरकारी सिफारिश प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है।

यह मामला उत्तर प्रदेश में बढ़ते फर्जीवाड़ों की एक कड़ी जोड़ता है, जहां आधिकारिक दस्तावेजों का दुरुपयोग आम हो रहा है। पुलिस ने जनता से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध पत्र पर तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। जांच के नतीजे आने पर और अपडेट दिए जाएंगे।

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