आगरा। मंडल रेल प्रबंधक गगन गोयल के निर्देशन और वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त पी. राजमोहन के मार्गदर्शन में आगरा मंडल की रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने वर्ष 2025 में बच्चों की सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’ नामक इस विशेष अभियान का उद्देश्य रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भटकते, लापता, अपहृत, मानसिक रूप से पीड़ित या बेघर बच्चों को सुरक्षित हाथों तक पहुंचाना है।

104 बच्चों को सुरक्षित कियाहर बच्चे के पीछे एक अलग कहानी

अप्रैल से नवम्बर 2025 तक आगरा मंडल आरपीएफ ने कुल 104 बच्चों को बचाया। इनमें 53 लड़के और 51 लड़कियां शामिल हैं।
ये बच्चे विभिन्न परिस्थितियों में पाए गए, जिनमें घर से भागे हुए, अपहृत, लापता, मानसिक रूप से विक्षिप्त या फिर पूरी तरह बेघर आदि केसों में आरपीएफ टीम ने संवेदनशीलता, सतर्कता और त्वरित कार्रवाई का परिचय देते हुए उन्हें सुरक्षित आश्रय, बाल कल्याण समिति एवं परिजनों तक पहुंचाया।

नन्हे फरिश्ते’ एक ऑपरेशन नहींएक जीवन रेखा

यह अभियान केवल एक सुरक्षा कार्रवाई भर नहीं है; यह उन अनगिनत बच्चों के लिए जीवन रेखा है जो अनिश्चित और जोखिम भरी परिस्थितियों में रेलवे स्टेशनों तक पहुंच जाते हैं। आरपीएफ का प्रयास है कि रेल परिसर में कोई भी बच्चा असुरक्षित न रहे और समय पर मदद मिल सके।

जागरूकता बढ़ाने में भी आगरा मंडल अग्रणी

ऑपरेशन के दौरान आरपीएफ ने न सिर्फ बच्चों को बचाया, बल्कि यात्रियों और अभिभावकों के बीच यह जागरूकता भी बढ़ाई कि घर से भागे बच्चों को तुरंत रिपोर्ट करें। किसी बच्चे को अकेला या असहज हालत में देखें तो सूचना दें। स्टेशनों पर बच्चों को सुरक्षा बल के हवाले करें।

साथ ही, ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर बच्चों की जानकारी समय-ब-समय अपलोड की जाती है, जिससे पहचान और पुनर्वास में तेजी आती है।

चुनौतियों के बीच लगातार बढ़ रहा अभियान

रेलवे की विशालता, भीड़भाड़, और निरंतर गतिविधि के कारण बच्चों को खोज निकालना हमेशा आसान नहीं होता। इसके बावजूद आगरा मंडल आरपीएफ रोज़ नई चुनौतियों का सामना करते हुए अपना दायरा बढ़ा रहा है और बच्चों के लिए एक सुरक्षित रेलवे वातावरण तैयार करने में जुटा है।

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