अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में खैर रोड और अलहदादपुर क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) में अब उन्नत रडार सिस्टम और लेजर तकनीक वाले छोटे आग्नेयास्त्र (स्माल आर्म्स) का उत्पादन शुरू होगा। ये रडार हवा, जमीन और समुद्र में दुश्मन के लक्ष्यों, लड़ाकू विमानों, ड्रोनों, मिसाइलों तथा जहाजों की स्थिति का पता लगाने में सक्षम होंगे। यह कदम भारत की वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) के तहत दो चरणों में विकसित हो रहे इस कॉरिडोर में पहले चरण के 100 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर काम चल रहा है, जबकि दूसरे चरण में 217 एकड़ क्षेत्र का विकास किया जा रहा है।

कॉरिडोर के कार्यकारी अभियंता एसपी सिंह ने बताया कि यह परियोजना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और दिल्ली की निकटता के कारण निवेशकों के लिए आकर्षक है। पहले चरण में 23 निवेशकों ने UPEIDA के साथ करार किया था, लेकिन वर्तमान में वेरीविन डिफेंस (Werywin Defence) और एमिटेक इंडस्ट्रीज (Amitec Industries) जैसी कंपनियां ही उत्पादन शुरू कर चुकी हैं। अन्य कंपनियां अपनी यूनिट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। कुल मिलाकर, अलीगढ़ नोड में 64 हेक्टेयर जमीन 24 कंपनियों को आवंटित हो चुकी है, जो 1,921 करोड़ रुपये के निवेश से 5,618 रोजगार पैदा करेगी। यहां ड्रोन, लॉयटरिंग म्यूनिशन, रडार सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण और मैकेट्रॉनिक्स-आधारित सामग्री का निर्माण होगा।

रडार उत्पादन: वायु रक्षा का नया आयाम

अलीगढ़ कॉरिडोर में विकसित होने वाले रडार बहुउद्देशीय होंगे, जो विभिन्न प्रकार के खतरों का पता लगाने में सहायक सिद्ध होंगे। ये रडार न केवल मौसम की स्थिति का आकलन करेंगे, बल्कि मिसाइलों और अन्य हथियारों को सटीक लक्ष्य तक पहुंचाने में भी मदद करेंगे। मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:

रडार का प्रकार मुख्य कार्यक्षमता
हवाई लक्ष्य रडार हवा में मौजूद लक्ष्यों (लड़ाकू विमान, ड्रोन, मिसाइल) की स्थिति का पता लगाना।
वायु रक्षा रडार वायु रक्षा प्रणाली में उपयोग, मौसम की स्थिति का आकलन और दुश्मन की निगरानी।
समुद्री निगरानी रडार समुद्र में जहाजों और नौसैनिक लक्ष्यों की स्थिति का पता लगाना।
लक्ष्य निर्देशन रडार मिसाइलों और हथियारों को सटीक लक्ष्य तक पहुंचाने में सहायता।

ये रडार अमिटेक इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Amitec Electronic Ltd) जैसी कंपनियों द्वारा विकसित किए जा रहे हैं, जो 330 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, सिग्नल इंटेलिजेंस, रडार सिस्टम और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी पर फोकस कर रही है।

स्मॉल आर्म्स: लेजर तकनीक से लैस हथियार

कॉरिडोर में छोटे आग्नेयास्त्रों का उत्पादन भी शुरू हो रहा है, जिसमें लेजर गाइडेड तकनीक का उपयोग होगा। वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड (Werywin Defence Pvt Ltd) ने 65 करोड़ रुपये के निवेश से स्मॉल आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की है। अन्य कंपनियां जैसे सिंडिकेट इनोवेशंस इंटरनेशनल लिमिटेड (150 करोड़) और एनकोर रिसर्च लैब्स (550 करोड़) ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सेंसर और रेडियो डायरेक्शन फाइंडर्स पर काम कर रही हैं।

आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

एसपी सिंह ने कहा कि अलीगढ़ में खैर रोड के अलावा नोड-2 (अलहदादपुर) में भी विकास कार्य तेज हैं, जो रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देंगे। UPDIC का कुल निवेश 30,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है, जिसमें 170 MoU साइन हुए हैं और 50,000 रोजगार सृजन की संभावना है। यह कॉरिडोर ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का हिस्सा है, जो आयात पर निर्भरता कम कर निर्यात को बढ़ावा देगा। अलीगढ़ नोड में कुल 90 हेक्टेयर जमीन पर 3,419 करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं, जो 9,000 नौकरियां पैदा करेगा।

UPDIC के छह नोड्स—अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी और चित्रकoot—में कुल 5,125 हेक्टेयर जमीन का विकास हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश को रक्षा विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाएगा।

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