आगरा: उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्ण ने शुक्रवार को पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राप्त शिकायती प्रार्थना पत्रों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जून, जुलाई और अगस्त माह की जन-शिकायतों के निस्तारण, कानून-व्यवस्था, साइबर अपराध, महिला सुरक्षा और पुलिस अभिरक्षा में मौतों पर चर्चा की गई। समीक्षा में लखनऊ, बहराइच, कानपुर, झांसी, जौनपुर और आगरा में सबसे अधिक शिकायतें मिलने का पता चला। डीजीपी ने इन जिलों के पुलिसकर्मियों के मामलों को चिह्नित कर सूची तैयार करने और जिला प्रभारियों द्वारा व्यक्तिगत मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिकायत सही पाए जाने पर आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो। यह समीक्षा यूपी पुलिस की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, खासकर जब डीजीपी कृष्ण ने हाल ही में अपराध नियंत्रण पर जोर दिया है।
डीजीपी कृष्ण ने समीक्षा के दौरान पाया कि 56 जिलों में जन-शिकायतों में कमी आई है, जबकि 20 जिलों में थोड़ी वृद्धि हुई। सर्वाधिक वृद्धि वाले 6 जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे उन थानों को चिह्नित करें जहां शिकायत निस्तारण में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। जन-शिकायतों को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर कारणों का पता लगाएं और निस्तारण सुनिश्चित करें। सीओ (सर्कल ऑफिसर) को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए, साथ ही पीड़ितों के साथ संवेदनशील व्यवहार और अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर जोर दिया। किसी मुद्दे पर आक्रोशित लोगों से संवेदनशीलता से वार्ता कर समस्या हल करने की हिदायत दी।
हालिया घटना पर चिंता: थाना ट्रांस यमुना मारपीट मामला
समीक्षा में हाल ही के थाना ट्रांस यमुना में दरोगा और पीड़िता के बीच मारपीट का मामला भी उठा। पुलिस पर चोरी के मामले में एफआईआर लगाने और थाने में वीडियो बनाने पर पिटाई के आरोप लगे थे। डीजीपी ने इस तरह की घटनाओं पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए, कहा कि पुलिस की छवि धूमिल करने वाली ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मामला महिला सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण विशेष रूप से गंभीर माना गया।
फटकार और स्पष्टीकरण: इन अधिकारियों पर निशाना
जन-शिकायतों के शिथिल पर्यवेक्षण पर वाराणसी और गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नरों, जबकि देवरिया, संभल, कौशांबी और बदायूं के एसपी को फटकार लगाई गई। इन अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। डीजीपी ने कहा कि शिकायत निस्तारण में कोई ढिलाई नहीं चलेगी। यह कार्रवाई यूपी पुलिस की आंतरिक जवाबदेही को मजबूत करने का प्रयास है।
डीजीपी के मुख्य निर्देश :
- शिकायतों की मॉनिटरिंग: सर्वाधिक शिकायतों वाले पुलिसकर्मियों की सूची जिला प्रभारी मॉनिटर करें, उच्च अधिकारी शिकायतकर्ता से खुद बात करें।
- कार्रवाई: सही शिकायत पर तत्काल एक्शन, अपराधियों पर कठोरता।
- निस्तारण में सुधार: 20 जिलों में वृद्धि वाले थानों को चिह्नित करें, कारणों की जांच।
- संवेदनशीलता: पीड़ितों के साथ empathetic व्यवहार, आक्रोशित लोगों से वार्ता।
- सीओ की भूमिका: शिकायत निस्तारण में सक्रिय भागीदारी।
- अन्य मुद्दे: साइबर अपराध, महिला सुरक्षा और कस्टडी मौतों पर फोकस।
यह समीक्षा डीजीपी राजीव कृष्ण के नेतृत्व में यूपी पुलिस की निरंतर सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है। कृष्ण ने मई 2025 में पदभार संभालने के बाद से कानून-व्यवस्था, साइबर क्राइम और महिला सुरक्षा पर जोर दिया है। हाल ही में अगस्त 2025 में उन्होंने 8,785 लाइफ सेंटेंस और 70 डेथ पेनल्टी के आंकड़े साझा कर अपराध नियंत्रण की उपलब्धियां बताईं। नेपाल सीमा पर सतर्कता जैसे हालिया कदमों के बीच यह समीक्षा पुलिस की जन-केंद्रित छवि को मजबूत करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे जनता का विश्वास बढ़ेगा, लेकिन 20 जिलों में वृद्धि चिंता का विषय है।