आगरा। राणा सांगा पर सांसद सुमन की टिप्पणी और इसके बाद हुए बवाल को लेकर आगरा में एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक तनाव गहरा रहा है। क्षत्रिय सभा के जिलाध्यक्ष डॉ. अनिल चौहान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने घायल लोगों की ओर से एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर मंगलवार को पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की।

प्रतिनिधिमंडल में डॉ. अनिल चौहान, धनवीर सिंह तोमर, पूर्व विधायक डॉ. राजेंद्र सिंह, आर.पी. सिंह, गजेन्द्र परमार, जितेंद्र सिकरवार, राजेश परमार, अजय प्रताप सिंह एडवोकेट, राजीव चौहान, मुनेंद्र जादौन एडवोकेट, जीपी सिंह राघव, राघवेंद्र मीनू जादौन, मानवेंद्र सिंह सहित कई सदस्य मौजूद थे। प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस कमिश्नर से कहा कि 26 मार्च की घटना में सांसद सुमन के आवास की छत से हुए पथराव में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे क्षत्रिय समाज के तमाम लोग घायल हुए थे। समाज के लोगों पर सुमन के समर्थकों ने हमला किया। उस समय पीड़ितों की ओर से तहरीर दी गई थी, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। पुलिस ने दूसरे पक्ष का मुकदमा लिखकर जार्जशीट भी दायर कर दी है जबकि क्षत्रिय समाज के पीड़त आज तक रिपोर्ज लिखाने के लिए भी भटक रहे हैं।

आईजीआरएस पर दर्ज शिकायत में सांसद व बेटे पर गंभीर आरोप

इसी बीच किरावली के ग्राम सांथा निवासी दीपक सिसौदिया ने भी सपा सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि 26 मार्च को स्पीड कलर लैब के सामने दोपहर दो बजे शांतिपूर्ण धरना चल रहा था। धरने का उद्देश्य था- सांसद द्वारा राणा सांगा व हिन्दू समाज को ‘गद्दार’ कहने के आरोप का विरोध।

दीपक के अनुसार, तभी सांसद के पुत्र रणजीत सुमन, गुल्लू यादव, राम नरेश यादव करीब 200 समाजवादी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और धरने पर बैठे लोगों पर अचानक हमला बोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि रणजीत सुमन और उनके साथियों ने मुझे डंडों से पीटा और जबरन अपने फ्लैट के भीतर घसीट लिया। रणजीत सुमन मेरी छाती पर बैठ गया और गला दबाने की कोशिश की। मेरी सोने की चैन भी छीन ली गई।

शिकायत में कहा गया कि हमले के दौरान सपा समर्थक ऊपर से ईंट-पत्थर बरसा रहे थे, जिससे कई लोग घायल हुए। हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी, उलटा हम पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

दीपक सिसौदिया का कहना है कि उन्होंने थाने में तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। रिसीविंग तक नहीं दी। पुलिस का कहना था कि समझौता करा देंगे, लेकिन बाद में एकतरफा कार्रवाई करते हुए प्रार्थी और अन्य लोगों पर ही मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट तक दाखिल कर दी गई।

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि आज तक उनकी शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई और अब वे न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

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