आगरा: आगरा में 18 मार्च 2024 को पांच साल की मासूम बच्ची के साथ हुए अपहरण, गैंगरेप और हत्या के जघन्य मामले में विशेष अदालत ने दोषियों को “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” करार देते हुए गुरुवार को मौत की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) सोनिका चौधरी (एडीजे-27) ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध समाज की आत्मा को झकझोरने वाला है और ऐसे अपराधियों के लिए केवल मृत्युदंड ही न्यायसंगत है। इस फैसले ने न केवल कानून के प्रति समाज का विश्वास बढ़ाया है, बल्कि अपराधियों में भी भय का माहौल पैदा किया है।

मामले का विवरण

पिछले साल 18 मार्च 2024 को इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे आगरा को झकझोर दिया था। पांच साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया गया और फिर हत्या कर दी गई। दोषियों ने बच्ची के परिवार से फिरौती भी मांगी थी। आगरा पुलिस की त्वरित कार्रवाई से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और बच्ची का शव बरामद हुआ।

न्याय की जीत, अभियोजन पक्ष का सम्मान

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट और अधिवक्ता नरेश पारस ने अभियोजन पक्ष की टीम को सम्मानित किया। उन्होंने कहा, “यह सजा हर दरिंदे के लिए स्पष्ट संदेश है कि न्याय व्यवस्था अब चुप नहीं रहेगी। यह फैसला बच्चों के साथ अपराध करने वालों के लिए सख्त चेतावनी है।” सम्मानित अधिवक्ताओं में जिला शासकीय अधिवक्ता (क्राइम) राधाकृष्ण गुप्ता, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि, देवी सिंह, विजय किशन लवानियां और विशेष लोक अभियोजक शामिल रहे। इस अवसर पर जितेंद्र शर्मा भी मौजूद थे।

सामाजिक प्रभाव

यह फैसला बाल अधिकारों की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है। नरेश पारस ने कहा कि यह न केवल पीड़ित परिवार को न्याय देता है, बल्कि समाज में बच्चों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भी देता है। स्थानीय लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है और इसे कानून के प्रति विश्वास बढ़ाने वाला कदम बताया।

क्या है “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” सिद्धांत?

“रेयरेस्ट ऑफ रेयर” सिद्धांत के तहत केवल उन अपराधों में मृत्युदंड दिया जाता है, जो समाज के लिए अत्यंत गंभीर और असाधारण रूप से क्रूर हों। विशेष न्यायाधीश सोनिका चौधरी ने अपने फैसले में इस अपराध को इसी श्रेणी में रखा।

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