आगरा: यमुनापार की एक 62 वर्षीय महिला, जो ट्राइकोफैगिया (रॅपंजेल सिंड्रोम) नामक दुर्लभ मानसिक बीमारी से पीड़ित है, के पेट से 760 ग्राम बाल निकाले गए। साकेत कॉलोनी स्थित नवदीप हॉस्पिटल में 6 अक्टूबर को गंभीर पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद भर्ती हुई इस महिला का ऑपरेशन किया गया। एंडोस्कॉपी में पता चला कि 50 साल से अपने बाल नोंचकर खाने की आदत के कारण उनके पेट में बालों का गुच्छा जमा हो गया, जिससे आंतों में रुकावट पैदा हुई थी।

35 साल पहले भी हो चुकी थी सर्जरी

आगरा सर्जंस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और नवदीप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुनील शर्मा ने बताया कि यह पहला मामला नहीं है। 35 साल पहले, जब मरीज की उम्र 27 साल थी, तब भी वह इसी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थी। उस समय उनके पेट से करीब 200 ग्राम बाल निकाले गए थे। सर्जरी के बाद परिजनों को मानसिक रोग विशेषज्ञ से इलाज कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। डॉ. शर्मा ने कहा, “6 अक्टूबर को मरीज को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के साथ लाया गया। जांच में आंतों में रुकावट दिखी। सर्जरी के दौरान 760 ग्राम बाल निकाले गए। अब मरीज की हालत स्थिर है।”

ट्राइकोफैगिया: क्या है यह बीमारी?

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के निदेशक प्रो. दिनेश राठौर ने बताया कि ट्राइकोफैगिया, जिसे रॅपंजेल सिंड्रोम भी कहते हैं, एक मानसिक विकार है। इसमें मरीज को बार-बार अपने बाल तोड़ने और कभी-कभी उन्हें खाने का आवेग होता है। इस बीमारी में मस्तिष्क पर नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है, जिसके कारण मरीज को बेचैनी होती है। बाल तोड़ने या खाने के बाद ही यह बेचैनी शांत होती है। प्रो. राठौर ने कहा, “यह बीमारी इलाज और काउंसलिंग से ठीक हो सकती है। अगर किसी में ऐसे लक्षण दिखें, जैसे बाल तोड़ने की आदत या बेचैनी, तो तुरंत मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।”

चिकित्सकों की सलाह: समय पर इलाज जरूरी

डॉ. शर्मा और प्रो. राठौर ने परिजनों से अपील की कि ट्राइकोफैगिया जैसे मानसिक विकारों को नजरअंदाज न करें। समय पर काउंसलिंग और इलाज से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। इस मामले में परिजनों की लापरवाही के कारण मरीज की स्थिति गंभीर हो गई। चिकित्सकों ने यह भी बताया कि पेट में बालों का गुच्छा (ट्राइकोबेजोअर) बनने से आंतों में रुकावट, पेट दर्द, उल्टी और गंभीर मामलों में आंतों में छेद जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।

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