आगरा। शाहगंज क्षेत्र में 15/16 नवंबर की रात हुए हाईप्रोफाइल चोरी के मामले से आखिरकार पर्दा उठ गया है। आलोक नगर की एक बंद कोठी में उस समय सेंध लगाई गई थी, जब पूरा परिवार शादी समारोह में गया हुआ था। चोरों ने मौका पाकर घर का ताला तोड़ा और करीब 35 हजार रुपये नकद, 150 ग्राम सोना, एक कीमती घड़ी और चांदी की मूर्ति पर हाथ साफ कर दिया था। शिकायत के बाद पुलिस ने कई टीमें लगाई थीं, जिनकी लगातार निगरानी और कामयाबी से पूरे गैंग का पूर्ण वर्कआउट कर लिया गया।
इनपुट्स के आधार पर केस को पूरी तरह डिकोड किया गया
एसीपी गौरव सिंह ने बताया कि पुलिस टीम ने तकनीकी और मानव दोनों तरह के इनपुट्स पर काम किया। बुधवार रात इस केस का पूरा राज़ खुल गया। गिरफ्त में आए आरोपियों में अबुल हुसैन और फरीद मुख्य भूमिका में थे, जिन्होंने घर की गतिविधियों की रेकी कर चोरी की योजना बनाई थी। हैरानी की बात यह है कि चोरी में एक महिला आरोपी भी शामिल थी। यह महिला चोरी किए गए सोने और चांदी की मूर्ति को आगे सप्लाई करने की जिम्मेदारी संभाल रही थी।
सोने को गलवाकर अलग-अलग टुकड़ों में बांटा
पुलिस जांच में सामने आया कि चोरी के तुरंत बाद फरीद ने सोना और मूर्ति अपनी बहन शिल्पी को दे दी। शिल्पी इस माल को एक स्थानीय सुनार को यह कहकर ले गई कि “जमीन खरीदनी है, इसलिए सोना बेचेंगे”। सुनार ने ‘गुड फेथ’ में सोना गलवाया और अलग-अलग पार्ट्स में बांट दिया। बाद में आरोपी दल ने सोने का कुछ हिस्सा बेचकर करीब 6 लाख रुपये कैश प्राप्त कर लिए। छापेमारी के दौरान पुलिस ने करीब दो लाख रुपये कैश, लगभग दस तोला सोना बरामद कर लिया है, जिसे चोरी से जुड़ा बताया गया है।
कूड़ा बीनते में नजर रखते थे घरों की दिनचर्या पर
तीनों आरोपी मूल रूप से मालदा, पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। आगरा में ये कूड़ा बीनने का काम करते थे। इसी बहाने ये कॉलोनियों में आसानी से आ-जा सकते थे और घरों की गतिविधियों को बिना शक के देख सकते थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि फरीद ने अपनी विकलांगता को ढाल बनाकर घरों की गहराई से रेकी की। लोग उसे देखकर तरस खा जाते थे और उस पर कोई संदेह नहीं करता था।
न कोई पुराना केस, न बड़ा क्राइम रिकॉर्ड
पुलिस पूछताछ में तीनों ने स्वीकार किया कि वे पहले भी छोटी-मोटी चोरी कर चुके हैं। हालांकि इन पुरानी घटनाओं की लोकेशन और पुष्टि अभी नहीं मिल सकी है। पुलिस इस लाइन पर और जांच कर रही है।
सुनार पर कोई आरोप नहीं
सुनार की भूमिका को लेकर फैली चर्चाओं पर एसीपी ने स्पष्ट किया कि सुनार को चोरी का संदेह नहीं था। आरोपी महिला ने उसे ज्वेलरी जमीन खरीदने के लिए बताई थी, इसलिए सुनार कानूनी रूप से इस केस में निर्दोष पाया गया।
पुलिस को शक, गैंग में और भी सदस्य हो सकते हैं
पुलिस को यह भी शक है कि चोरी की इस कड़ी में और लोग शामिल हो सकते हैं। जांच आगे बढ़ाई जा रही है। यदि कोई नई भूमिका सामने आती है तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई तय है। फिलहाल तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।





