झांसी: शनिवार की शाम… और जिला अस्पताल का वो बच्चा वार्ड… जहां जिंदगी खिलखिला रही थी… लेकिन एक पल में सब कुछ बदल गया!”

  • “आग की वो चिंगारी, जिसने हंसते-खेलते मासूमों को झुलसाने की कोशिश की… एक चिंगारी जो बन गई एक जलता हुआ सवाल — आखिर कब जागेगा सिस्टम?”
  • “छत पर पड़ी सूखी पत्तियाँ… बिजली के खुले तार… और फिर हुआ वो, जिससे हर मां का दिल कांप उठा!”
  • “शॉर्ट सर्किट से निकली चिंगारी ने लिया आग का विकराल रूप… और फिर शुरू हुआ भगदड़ का वो मंज़र… जो किसी बुरे सपने से कम नहीं था…”
  • “माएं अपने बच्चों को गोद में उठाकर चीखती-चिल्लाती भागीं… चीखें, सिसकियां और बदहवासी… अस्पताल बना अफरातफरी का अखाड़ा!”
  • “दमकल की तीन गाड़ियाँ दौड़ीं जान बचाने… लेकिन सवाल ये नहीं कि आग बुझी या नहीं… सवाल ये है कि ये आग लगी ही क्यों?
  • “कुछ महीने पहले इसी झांसी के मेडिकल कॉलेज में डेढ़ दर्जन बच्चों की लाशें जली हुई मिली थीं… और अब फिर वही लापरवाही, वही कहानी, वही आग!”
  • “एसपी सिटी पहुंचे, सीओ पहुंचे, कोतवाल भी पहुंचे… लेकिन जनता पूछ रही है –कब पहुंचेगा इंसाफ? कब थमेगा मासूमों के साथ ये खिलवाड़?”
  • “आग नीचे वार्ड तक नहीं आई… लेकिन भरोसा, विश्वास और सिस्टम की साख… वो जल कर राख हो गई है!”
  • “ये कोई छोटी-मोटी चिंगारी नहीं… ये है एक लापरवाही की ज्वाला, जो कभी भी किसी की गोद उजाड़ सकती है…”
  • “प्रशासन अब भी बयान दे रहा है… लेकिन क्या अगली आग में कोई और मासूम जिंदा जलेगा… तभी जागेगा ये सिस्टम?”
  • “ये सिर्फ आग नहीं थी… ये थी एक चेतावनी… एक वार्निंग बेल… जो अगर इस बार अनसुनी की गई… तो अगली बार शायद सिर्फ बच्चा वार्ड नहीं… पूरा अस्पताल जल उठेगा!”

 

  • रिपोर्ट – नेहा श्रीवास

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