मथुरा,सहायक शासकीय अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने जानकारी दी है कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (त्वरित न्यायालय कक्ष सं०-1) (महिला विरुद्ध अपराध) मथुरा श्री सुशील कुमार जी ने एक ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए आरोपी डॉक्टर को बलात्कार व आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कड़ी सजा सुनाई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वृंदावन थाना क्षेत्र अंतर्गत पंजीकृत एक गंभीर मामले में डॉ. धर्मेन्द्र सिंह पर धारा 376 व 306 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे। अभियुक्त द्वारा संचालित माही नर्सिंग होम में कार्यरत एक महिला नर्स, जो कि अपने पति से पृथक रहकर अपने अबोध बच्चे का पालन-पोषण कर रही थी, के साथ दिनांक 01 मई 2021 को जबरन दुष्कर्म किया गया। इस घटना से क्षुब्ध होकर पीड़िता ने अगले ही दिन आत्महत्या कर ली।
थाना वृन्दावन में मृतका के पिता ओमवीर द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मृतका द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में आरोपी डॉक्टर का नाम स्पष्ट रूप से अंकित था, जो पुलिस के कब्जे में है। उक्त आधार पर पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 414/2021 अंतर्गत धारा 376 व 306 भा.दं.सं. में दर्ज कर विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया।
मामले की सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने कहा कि डॉक्टर धर्मेन्द्र सिंह ने एक पवित्र स्थान माने जाने वाले अस्पताल में कार्यरत एक असहाय महिला की परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए घृणित अपराध किया है। यह न केवल सामाजिक और नैतिक दृष्टि से निंदनीय है बल्कि चिकित्सा जैसे विश्वास के संस्थान पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
इस गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए न्यायालय ने डॉ. धर्मेन्द्र सिंह को धारा 376(2)(डः) के अंतर्गत सश्रम आजीवन कारावास व ₹50,000 के अर्थदंड से, तथा धारा 306 के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व ₹30,000 के अतिरिक्त अर्थदंड से दण्डित किया है। अर्थदंड अदा न करने पर क्रमशः 6 माह व 3 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
इसके साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि अधिरोपित अर्थदंड की 50% राशि मृतका के अबोध बालक के नाम सावधि जमा योजना में निवेशित की जाए, जिससे वह बालिग होने पर आर्थिक सहायता प्राप्त कर सके।