मथुरा – भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में एक महिला को अपने मृत पति का वारिसान प्रमाणपत्र बनवाने के लिए तहसील और प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। मामला तहसील मांट के चंदपुरा ग्राम पंचायत खायरा आसफाबाद का है, जहां की निवासी आरती गौतम अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं, लेकिन उन्हें अब तक न्याय नहीं मिला।
आरती गौतम का विवाह दिनांक 29 जून 2001 को सीआरपीएफ में तैनात दुष्यंत मोहन गौतम से हुआ था, जिनकी आकस्मिक मृत्यु 18 नवम्बर 2021 को ड्यूटी के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हो गई थी। आरती का दावा है कि उनके देवर इन्द्र मोहन गौतम व अन्य परिजनों ने षड्यंत्र के तहत कूटरचित दस्तावेजों के जरिए 7 अक्टूबर 2022 को उपजिलाधिकारी कार्यालय मथुरा सदर से खुद को वारिसान प्रमाणित करवा लिया, जबकि वैध पत्नी और पुत्र को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
आरती गौतम ने बताया कि उन्होंने जिलाधिकारी मथुरा से लेकर मांट के उपजिलाधिकारी तक न्याय की गुहार लगाई, लेकिन सुनवाई के बजाय उन्हें कार्यालय से अपमानित कर भगा दिया गया। आरती ने आरोप लगाया कि तहसील मांट में जब वह प्रमाणपत्र के लिए गईं तो उनके देवर इन्द्र मोहन और अन्य लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज और ग्राम प्रधान पप्पू सिंह का पत्र है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि आरती, दुष्यंत मोहन की विधवा हैं। बावजूद इसके अब तक उनका वारिसान प्रमाणपत्र नहीं बनाया गया।
इस मामले में सीजेएम कोर्ट अलीगढ़ के आदेश पर सिविल लाइन थाना अलीगढ़ में दिनांक 16 मई 2025 को इन्द्र मोहन गौतम समेत छह लोगों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज बनाने और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरती गौतम ने प्रशासन से अपील की है कि उनके और उनके पुत्र के नाम पर सही वारिसान प्रमाणपत्र जारी किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उन्हें या उनके बेटे को कोई नुकसान होता है, तो इसकी जिम्मेदारी मांट के एसडीएम और तहसीलदार की होगी।

यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक निष्क्रियता को उजागर करता है बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर भी सवाल खड़ा करता है।