- रिपोर्ट – नेहा श्रीवास
झांसी/उत्तर प्रदेश – झांसी के मऊरानीपुर क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला की उस समय दर्दनाक मौत हो गई जब तेज़ गति से आ रहे ट्रक ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया और ट्रक का पहिया उनके ऊपर चढ़ गया। यह घटना पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के सामने उस समय घटी जब खातून नामक महिला अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी की जद्दोजहद में एक कटोरे में बिरयानी लेकर जा रही थीं।
कहानी एक संघर्ष की…
खातून, जिनकी उम्र 65 साल थी, अपने पूरे जीवन में कभी भी आराम का स्वाद नहीं चख पाईं। मुहल्ला कुरैचानाका की रहने वाली खातून रोज़ स्टेशन रोड पर भीख मांगने का काम करती थीं। उनका एक ही सपना था, अपने बच्चों के लिए थोड़ा सा आराम जुटा पाना, लेकिन जिंदगी ने उन्हें हमेशा संघर्ष में रखा। वह अपनी बेटी और दामाद के घर रहकर किसी तरह अपना गुज़ारा करती थीं, और दिनभर सड़कों पर भीख मांगने के बाद घर लौटती थीं।
दर्दनाक मंजर: एक क्षण की लापरवाही से टूटी एक माँ की जिंदगी
आज, जैसे ही वह एक कटोरे में बिरयानी लेकर जा रही थीं, उसकी किस्मत ने एक और दर्दनाक मोड़ लिया। अचानक तेज़ गति से आ रहा एक ट्रक बिना किसी चेतावनी के महिला के पास पहुंचा। ट्रक का चालक शायद अपनी गति पर इतना अभिमान महसूस कर रहा था कि उसने सड़क पर एक असहाय बुजुर्ग महिला को देखकर भी अपनी गति नहीं कम की। ट्रक का अगला पहिया महिला के ऊपर चढ़ गया, और वह चित होकर सड़कों पर गिर पड़ी।
आसपास खड़े लोग बेकाबू थे, लेकिन मदद की कोई उम्मीद नहीं थी। ट्रक चालक ने ना केवल महिला की जिंदगी ली, बल्कि उसने भाग कर यह साबित कर दिया कि किसी के दर्द और जीवन की कोई अहमियत नहीं है। उसकी लापरवाही ने एक माँ की हत्या कर दी, और अब वह पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पुलिस कार्रवाई और जनमानस में गुस्सा
घटना की सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने ट्रक को भी अपने कब्जे में ले लिया है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या हम इस लापरवाह ट्रक चालक को सजा दिला पाएंगे? क्या सड़क पर इतनी बड़ी लापरवाही को अब तक अनदेखा किया जाता रहेगा?
वृद्धा का बेटा है झांसी में, लेकिन हद की इंसानियत भी खो गई
पुलिस ने यह भी बताया कि मृतक महिला का बेटा झांसी में ही रहता है और उसे इस दर्दनाक घटना की जानकारी दे दी गई है। लेकिन क्या किसी बेटे का दिल कभी यह सोच सका था कि उसकी माँ के साथ ऐसा कुछ हो सकता है? क्या किसी ने कभी सोचा था कि एक महिला, जो अपनी अंतिम सांसों के दिन भी दूसरों की मदद करने के लिए सड़कों पर बैठी थी, ऐसी जघन्य मौत का शिकार होगी?
यह घटना सड़क सुरक्षा के सवालों को और भी गंभीर बनाती है। क्या हमारी सरकार, प्रशासन और आम लोग अब भी ऐसे हादसों को नजरअंदाज करेंगे, जो प्रतिदिन के जीवन का हिस्सा बन गए हैं?