नई दिल्ली/एजेंसी।  बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार को संसद परिसर में इंडिया गठबंधन के सांसदों ने अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया, जिसमें कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेता ‘मिंता देवी’ के नाम और तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने नजर आए। इस प्रदर्शन ने न केवल सबका ध्यान खींचा, बल्कि मिंता देवी का नाम भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया। आखिर कौन हैं मिंता देवी, और क्यों बन गई हैं वे विपक्ष के विरोध का प्रतीक? आइए जानते हैं।

मिंता देवी कौन हैं?

मिंता देवी बिहार के सीवान जिले के दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के अरजनीपुर गांव की निवासी हैं। उनकी वास्तविक उम्र 35 साल है, और वे धनंजय कुमार सिंह की पत्नी हैं। लेकिन हाल ही में जारी चुनाव आयोग की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में उनकी उम्र 124 साल दर्ज की गई है, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है। यह गलती कथित तौर पर ऑनलाइन फॉर्म भरते समय डेटा एंट्री में हुई, जिसके लिए बूथ लेवल अधिकारी उपेंद्र शाह ने अपनी भूल स्वीकारी और सुधार का आश्वासन दिया है। 

विपक्ष का विरोध और टी-शर्ट की सियासत

विपक्षी गठबंधन, खासकर कांग्रेस और आरजेडी, ने इस गलती को चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का बड़ा मुद्दा बना लिया। मंगलवार को संसद के मकर द्वार पर प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सुप्रिया सुले, कनिमोझी समेत कई इंडिया गठबंधन के सांसदों ने मिंता देवी की तस्वीर और “124 नॉट आउट” लिखी टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया। कुछ सांसदों ने प्याज की माला भी पहनी, जो महंगाई के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध था। 

विपक्ष का आरोप है कि SIR प्रक्रिया में जल्दबाजी और गड़बड़ियों के चलते लाखों वोटरों, खासकर गरीब, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे “वोट चोरी” करार देते हुए कहा, “One Man-One Vote संविधान की नींव है, लेकिन चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा। मिंता देवी का मामला इसका एक उदाहरण है, ऐसे कई और मामले हैं।”

चुनाव आयोग और सत्तापक्ष का जवाब

चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे तकनीकी गलती बताया है। सत्तारूढ़ दल ने विपक्ष के प्रदर्शन को “राजनीतिक स्टंट” करार दिया और कहा कि वे जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि मिंता देवी का मामला केवल एक उदाहरण है, और बिहार के कई इलाकों में मतदाता सूची में गड़बड़ियां सामने आई हैं, जैसे एक ही पते पर सैकड़ों मतदाताओं के नाम या उत्तर प्रदेश के वोटरों के नाम बिहार की सूची में शामिल होना। 

संसद में गतिरोध और आगे की राह

इस मुद्दे ने संसद के मॉनसून सत्र को प्रभावित किया है, जिसके चलते सामान्य कार्यवाही बाधित रही। विपक्ष ने SIR प्रक्रिया को वापस लेने और मतदाता सूची की गड़बड़ियों की जांच की मांग की है। दूसरी ओर, सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष बेवजह हंगामा कर रहा है। मिंता देवी की टी-शर्ट अब विपक्ष के लिए एक प्रतीक बन गई है, जो वे चुनाव आयोग की कथित नाकामी को उजागर करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। 

मिंता देवी का मामला, जो एक साधारण डेटा एंट्री की गलती से शुरू हुआ, अब बिहार में मतदाता सूची की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह मुद्दा और गर्माने की संभावना है। विपक्ष इसे “वोट चोरी” के खिलाफ अपनी लड़ाई का हथियार बना रहा है, जबकि सत्तापक्ष इसे महज एक तकनीकी त्रुटि बता रहा है।

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