आगरा: महानगर भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को लेकर एक वायरल ऑडियो ने कार्यकर्ताओं में हंगामा मचा दिया है। बल्केश्वर मंडल की कार्यकारिणी से जुड़े इस विवाद में पूर्व पार्षद अमित ग्वाला और वरिष्ठ कार्यकर्ता सुनीत गोयल के बीच हुई तीखी बातचीत ने संगठन के भीतर चुप्पी तोड़ दी है। ऑडियो में ग्वाला के कथित बयान—”मंडल अध्यक्ष या महानगर अध्यक्ष की क्या औकात है कुछ देने की”—ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर मंडल कमेटियों में नाम तय कौन कर रहा है? पार्टी के अंदरूनी स्रोतों का कहना है कि यह गुटबाजी का नतीजा है, जो संगठन की साख को नुकसान पहुंचा सकता है।
विवाद की शुरुआत: फेसबुक पोस्ट से ऑडियो तक
विवाद की जड़ एक फेसबुक पोस्ट है। ऑडियो क्लिप के अनुसार, सुनीत गोयल ने बल्केश्वर मंडल कार्यकारिणी के एक सदस्य (मानव ग्वाला) को लेकर गोयल की पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी थी। इस पर अमित ग्वाला ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि मानव उनका छोटा भाई है, इसलिए टिप्पणी गलत है। ग्वाला ने गोयल को पोस्ट डिलीट करने का आदेश दिया और अगली सुबह पार्क में मिलने को कहा।
बातचीत के दौरान ग्वाला के कथित बयान ने विवाद को भड़का दिया: “तुम्हारी चिंता हम करेंगे ना… हम काहे के लिए बैठे हैं। तुम बताओ कौन-सा पद चाहिए तुम्हें। मंडल अध्यक्ष या महानगर अध्यक्ष की क्या औकात है कुछ देने की।” इससे साफ संकेत मिलता है कि मंडल कार्यकारिणी में पदाधिकारियों का चयन अब आधिकारिक पदाधिकारियों के बजाय किसी अन्य प्रभावशाली व्यक्ति या गुट के हाथों में है। यह ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष की लहर दौड़ गई।
कार्यकर्ताओं के बीच सवालों का दौर
वायरल ऑडियो के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में चर्चा छिड़ गई है कि मंडल इकाइयों में नामांकन की प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं है? कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह संगठनात्मक परंपराओं का उल्लंघन है। एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अगर अध्यक्षों की कोई भूमिका नहीं, तो संगठन का मतलब ही क्या रह जाता है? यह गुटबाजी साफ दिख रही है।”
पार्टी सूत्रों के अनुसार, बल्केश्वर मंडल में लंबे समय से पद वितरण को लेकर असंतोष पनप रहा था। अमित ग्वाला ने सफाई देते हुए कहा, “यह विरोधियों की साजिश है। ऑडियो एडिटेड लगता है, और मुझे फंसाने की कोशिश हो रही है।” वहीं, सुनीत गोयल ने संपर्क करने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
प्रमुख बिंदु | विवरण |
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विवाद का केंद्र | बल्केश्वर मंडल कार्यकारिणी में पद वितरण |
मुख्य व्यक्ति | अमित ग्वाला (पूर्व पार्षद), सुनीत गोयल (वरिष्ठ कार्यकर्ता), मानव ग्वाला |
ट्रिगर | फेसबुक पोस्ट पर प्रतिक्रिया |
कथित बयान | “मंडल/महानगर अध्यक्ष की औकात क्या है?” |
प्रभाव | संगठन में गुटबाजी के आरोप, कार्यकर्ताओं में असंतोष |
संगठन की छवि पर असर: राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद भाजपा के “आंतरिक लोकतंत्र” मॉडल को कमजोर कर सकता है। एक विश्लेषक ने कहा, “भाजपा हमेशा संगठनात्मक मजबूती पर जोर देती रही है, लेकिन ऐसे वायरल मामलों से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है। अगर शीघ्र जांच नहीं हुई, तो यह बड़े स्तर पर असर डालेगा।” फिलहाल, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन आंतरिक स्तर पर चर्चा चल रही है।
यह मामला आगरा भाजपा के लिए चुनौती बन गया है, खासकर जब मंडल स्तर पर संगठन मजबूत करने की कवायद चल रही हो। कार्यकर्ताओं के बीच सवाल गूंज रहा है: अगर आधिकारिक पदाधिकारी तय नहीं कर रहे, तो फिर फैसला कौन ले रहा है?