आगरा: जिले के थाना ट्रांस यमुना क्षेत्र में एक महिला और पुलिसकर्मियों के बीच थाने में हुए विवाद ने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है। महिला ने चोरी के मामले में बिना तथ्यों की जांच के फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाने का गंभीर आरोप लगाया है। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने एफआर को निरस्त कर दिया है, जबकि जांच पूर्व एसएचओ और इंस्पेक्टर कोतवाली भानु प्रताप यादव को सौंपी गई है। साथ ही, पुलिस पर लगे अन्य आरोपों की जांच एडीसीपी क्राइम हिमांशु गौरव को सौंपी गई है। मामला मारपीट और वीडियो वायरल होने से और गरमा गया है।
19 अगस्त 2025 को थाना ट्रांस यमुना में पीड़ित महिला और महिला दरोगा के बीच जमकर विवाद हुआ। दोनों के बीच मारपीट की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। महिला के खिलाफ शांति भंग करने के आरोप में कार्रवाई की गई थी, और जमानत पर रिहा होने के बाद 22 अगस्त को उन्होंने अपना वीडियो वायरल किया। वीडियो में महिला ने आरोप लगाया कि वे थाने में वीडियो बना रही थीं, तभी उनके साथ मारपीट की गई, मोबाइल छीन लिया गया और कमरा बंद करके बेरहमी से पीटा गया।
मामले की प्रारंभिक जांच अपर पुलिस उपायुक्त पूनम सिरोही को सौंपी गई थी। उन्होंने महिला दरोगा और पीड़िता के बयान दर्ज किए। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने दोनों पक्षों को दोषी ठहराया। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने कहा, “रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
चोरी केस का पृष्ठभूमि
मामला ट्रांस यमुना निवासी महिला के कमला नगर स्थित बुटिक से जुड़ा है। 15 सितंबर 2024 को उनके घर में चोरी की घटना हुई थी, जिसमें लाखों रुपये के जेवरात और 80 हजार रुपये नकदी चोरी हो गए थे। पीड़िता थाने के चक्कर लगा रही थीं, लेकिन पुलिस ने बिना किसी तथ्य की पड़ताल के गुपचुप तरीके से फाइनल रिपोर्ट लगा दी। विवेचक को पूर्व में एक अन्य मामले में निलंबित किया जा चुका था, लेकिन पीड़िता को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई।
जब महिला नए थाना प्रभारी से केस की जानकारी लेने थाने पहुंचीं, तो मोबाइल से वीडियो बनाने पर विवाद हो गया। इस दौरान पूर्व विवेचक भी मौके पर पहुंच गए। पीड़िता के पति ने बताया, “हमारी शिकायत पर चोरी के केस में लगी एफआर को निरस्त कर दिया गया है। लेकिन मारपीट के मामले में किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।”
विभागीय कार्रवाई
पुलिस आयुक्त ने चोरी केस की जांच पूर्व एसएचओ और इंस्पेक्टर कोतवाली भानु प्रताप यादव को सौंपी है। वहीं, थाने में हुई मारपीट और अन्य आरोपों की गहन जांच एडीसीपी क्राइम हिमांशु गौरव कर रहे हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि आरोप सही पाए गए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।