लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति पर लखनऊ जेल में एक अन्य कैदी द्वारा कथित तौर पर जानलेवा हमला किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जेल में बंद एक कैदी ने प्रजापति पर कैंची से उनके सिर पर कई वार किए, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले की सूचना मिलते ही जेल प्रशासन ने उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत को गंभीर बताते हुए इलाज शुरू कर दिया है।
प्रत्यक्षदर्शियों और जेल सूत्रों के मुताबिक, हमला जेल के सामान्य वार्ड में तब हुआ जब प्रजापति अन्य कैदियों के साथ थे। हमलावर कैदी की पहचान अभी गोपनीय रखी गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि यह पुरानी दुश्मनी या जेल के अंदरूनी झगड़ों का नतीजा हो सकता है। जेल अधीक्षक ने तत्काल पुलिस को सूचना दी, और हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर जांच शुरू हो गई है।
पृष्ठभूमि: प्रजापति का लंबा कानूनी संघर्ष
गायत्री प्रजापति, जो अखिलेश यादव सरकार में परिवहन एवं खनन मंत्री रह चुके हैं, 2017 से लखनऊ जेल में बंद हैं। उन पर चित्रकूट गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जिसमें एक महिला और उनकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म का आरोप था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दर्ज इस FIR ने राजनीतिक हलचल मचा दी थी। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भी प्रजापति को ‘फंसाया गया’ बताते हुए उनका समर्थन किया था।
इस हमले ने जेल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों में हथियारों की उपलब्धता और कैदियों के बीच तनाव एक बड़ी समस्या है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, और जेल में सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
समाजवादी पार्टी के नेताओं ने हमले की निंदा की है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “यह पूर्व मंत्री पर राजनीतिक साजिश का हिस्सा लगता है। हम सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं।” वहीं, भाजपा ने इसे जेल प्रशासन की विफलता करार देते हुए कहा कि अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन कानून अपना काम करेगा।
प्रजापति की हालत पर डॉक्टरों का बयान आना बाकी है। न्यूज पोर्टल इस घटना पर लगातार अपडेट देता रहेगा। क्या यह हमला उनके पुराने केसों से जुड़ा है या जेल की आंतरिक कलह? जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।