🔹 ✍🏻 डॉ. सत्यवान सौरभ
हरियाणा। रणबीर सिंह गंगवा एक ज़मीनी नेता हैं, जिन्होंने गंगवा गांव से राजनीति की शुरुआत कर 34 वर्षों में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया। उन्होंने हिसार ज़िला परिषद से लेकर राज्यसभा, विधानसभा और डिप्टी स्पीकर जैसे दायित्वों को ईमानदारी से निभाया। बरवाला से पहली बार भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले गंगवा का नेतृत्व ग्रामीण विकास, पारदर्शिता और जनसेवा का प्रतीक बन चुका है। वे स्वास्थ्य, सड़क और किसान कल्याण के कार्यों में अग्रणी हैं। उनके जीवन का हर चरण जनता से जुड़ाव और सेवा भावना का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
रणबीर सिंह गंगवा… एक ऐसा नाम, जो आज हरियाणा की राजनीति में न केवल एक मंत्री पद से पहचाना जाता है, बल्कि एक संघर्षशील, साफ़-सुथरे और जमीनी नेता के रूप में भी गूंजता है। इनकी राजनीतिक यात्रा 34 वर्षों से भी अधिक लंबी है, और यह यात्रा शुरू हुई थी गांव की गलियों से — न किसी शोर-शराबे के साथ, न किसी विरासत की छांव में, बल्कि आम जनता के साथ खड़े रहकर, उन्हीं की आवाज़ बनकर।
हिसार जिले के गंगवा गांव में 4 मार्च 1964 को जन्मे रणबीर सिंह का बचपन बहुत सामान्य था। पिता राजाराम और माता केसर देवी के साधारण परिवार में जन्मे रणबीर को कम उम्र में ही जीवन की कठोर सच्चाइयों का सामना करना पड़ा। पढ़ाई के बाद जल्द ही उनका विवाह अंगूरी देवी से हो गया और आज उनके दो बेटे — सुरेंद्र और संजीव — उनके परिवार का हिस्सा हैं।
रणबीर सिंह गंगवा की राजनीति में औपचारिक शुरुआत साल 2000 में हुई जब वे हिसार ज़िला परिषद के लिए चुने गए। यह उनका पहला जनप्रतिनिधि पद था, जिससे उन्होंने जनसेवा की नींव रखी। 2005 में वे दोबारा निर्वाचित हुए और उपाध्यक्ष बने। यह वह दौर था जब उन्होंने जनसमस्याओं को नज़दीक से देखा, सुना और समझा। ये सिर्फ़ प्रतिनिधि नहीं बने, बल्कि लोगों की तकलीफों के हिस्सेदार बने।
उनकी लगन और जमीनी पकड़ ने 2010 में उन्हें राज्यसभा तक पहुंचाया। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने उन्हें राज्यसभा भेजा। इसके बाद 2014 में जब उन्होंने नलवा विधानसभा से चुनाव लड़ा, तो उन्होंने राजनीतिक दिग्गजों — पूर्व मंत्री संपत सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन — को हराकर सबको चौंका दिया। रणबीर सिंह गंगवा अब आम जनता के असली नेता बन चुके थे।
लेकिन राजनीति स्थिर नहीं होती। 2018 में इनेलो का विभाजन हुआ, और 2019 से पहले रणबीर गंगवा ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला किया। पार्टी ने उन्हें फिर से नलवा से टिकट दिया और वे विजयी होकर विधानसभा के डिप्टी स्पीकर बने।
फिर आया 2024 — पार्टी ने नलवा की बजाय उन्हें बरवाला विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा। यहां रणबीर गंगवा ने वह कर दिखाया जो पहले कोई नहीं कर सका था। उन्होंने भाजपा को बरवाला से पहली ऐतिहासिक जीत दिलाई। यह जीत सिर्फ़ राजनीतिक नहीं थी — यह जनता के विश्वास, उनके संघर्ष, और उनके लगातार जुड़ाव की जीत थी।
उनकी जीत के साथ ही उन्हें हरियाणा सरकार में सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी और लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने गांवों में पानी की आपूर्ति, सड़क संपर्क, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति और स्कूल भवनों की मरम्मत जैसे मुद्दों पर काम शुरू किया। उनके नेतृत्व में विकास योजनाएं न केवल बनीं, बल्कि ज़मीन पर उतरीं और जनता ने राहत महसूस की।
रणबीर गंगवा के लिए राजनीति कभी सत्ता की कुर्सी नहीं रही — यह हमेशा सेवा का मंच रहा है। उन्होंने किसानों के लिए राहत योजनाओं को सरल बनाया, युवाओं के लिए खेल व कौशल केंद्र शुरू करवाए और महिलाओं के लिए सिलाई प्रशिक्षण केंद्र, स्वास्थ्य शिविर और आत्मनिर्भरता योजनाओं को प्रोत्साहन दिया।
राजनीति में आने के 34 वर्षों बाद भी, उनके नाम कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। उनकी संपत्ति, आमदनी और देनदारियां सब कुछ चुनावी हलफनामों में पारदर्शिता से दर्ज हैं। उनकी सबसे बड़ी पूंजी है — जनता का विश्वास।
आज रणबीर सिंह गंगवा केवल हरियाणा के पिछड़े वर्ग का चेहरा नहीं हैं, बल्कि वे एक ऐसे जननेता हैं जिनकी कार्यशैली, सादगी और दूरदृष्टि पूरे हरियाणा को नई दिशा देने का सामर्थ्य रखती है। बरवाला की जनता के लिए वे सिर्फ विधायक या मंत्री नहीं हैं — वे अपने परिवार के सदस्य हैं, जो हर मोड़ पर साथ खड़े हैं।
गांव के एक सच्चे बेटे से लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बनने तक का उनका सफर यह सिखाता है कि ईमानदारी, परिश्रम और जनता से जुड़ाव हो तो राजनीति भी सेवा का सबसे पवित्र माध्यम बन सकती है।

🌾 दीपक जो गांव में जला था –
गांव माटी से जन्मा, सेवा जिसकी शान।
न पद की आशा कभी, न धन का अभिमान॥
धूल भरे पथ चलते-चलते
एक दीप ने ज्योति जलाई,
ना कोई रथ, ना कोई रक्षक,
ना राजपाट, ना कोई कलाई।
जन-जन की आवाज़ बना वो,
जिसने पीड़ा को पहचाना,
राजनीति में आचरण से
उसने लिखा नया फसाना।
बरवाला की बंजर धरती, ले हरियाली मुस्काई।
गंगवा जैसा सत्य व्रती, जो जनहित में भाई॥
राजसभा से ग्राम तक,
पद की कीर्ति छाई।
पर ना छोड़ी सादगी,
नीति-न्याय निभाई॥
माटी की गंधों से,
जिसने मन को जोड़ा।
राज नहीं, पर सेवा का,
दीप सदा ही छोड़ा॥”
नहीं मंच की लालसा, न ही सिंह का भाव।
जनमन का विश्वास ही, बना उसका चाव॥”
हिसार-धरा पर जब-जब कोई
नेता धन के मोह में झूले,
गंगवा जैसे सेवक आगे
ईमान के दीपक को फूले।
ज़िला परिषद, मंत्री पद तक
जिसने पथ अपराजित नापा,
जनता का विश्वास बटोरी,
पाया प्रेम, न थूका मापा।
कर्म बना पहचान जिसकी, सेवा उसका धर्म।
रणबीर गंगवा देश हित, बने जन-जन मर्म॥
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(डॉ. सत्यवान सौरभ, स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार।)