आगरा: जिले के बहुचर्चित बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्या मामले में एडीजे 17 नितिन कुमार ठाकुर की अदालत ने कलेक्ट्रेट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष बृजेंद्र रावत, उनके पुत्र कृष्णा रावत और पुत्री प्रियंका उर्फ मोना को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया है। सजा का ऐलान कल, 15 अक्टूबर 2025 को होगा।
मामले का विवरण
थाना ताजगंज में दर्ज इस मामले में मृतक के पिता केशव देव शर्मा ने प्रियंका रावत (सचिन की पत्नी), उनके भाई कृष्णा रावत और पिता बृजेंद्र रावत के खिलाफ हत्या और आपराधिक षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कराया था। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर प्रियंका और कृष्णा को हत्या का दोषी ठहराया, जबकि बृजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने का दोषी पाया।
घटना की पृष्ठभूमि
केशव देव के अनुसार, उनके बेटे सचिन की शादी फरवरी 2015 में प्रियंका रावत से हुई थी। शादी के बाद प्रियंका का व्यवहार परेशान करने वाला रहा और वह सचिन को उनके परिवार से अलग करने की कोशिश करती थी। 2020 में दंपति आगरा के रामरघु एक्साटिका, शमसाबाद रोड में रहने लगे।
सितंबर 2023 में सचिन ने अपने भाई के नाम पर पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया, जिससे प्रियंका नाराज हो गई। इसके बाद प्रियंका ने अपने पिता और भाई को बुलाया, और सचिन को घर में बंद कर प्रताड़ित किया गया। 11 अक्टूबर 2023 को सचिन के गांव जाने के बाद, कृष्णा ने केशव को फोन कर बताया कि सचिन और प्रियंका के बीच झगड़ा हुआ था। अगले दिन, 12 अक्टूबर को बृजेंद्र ने सूचना दी कि सचिन की मृत्यु हो गई। मृतक के शरीर पर गंभीर चोटें थीं, और कार की चाबी व मोबाइल जैसे सबूत गायब थे।
कोर्ट में सुनवाई
अभियोजन पक्ष ने 18 गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष ने 4 गवाहों के जरिए अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की। कोर्ट ने साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर फैसला सुनाया कि हत्या योजनाबद्ध थी।
अगला कदम
एडीजे नितिन कुमार ठाकुर ने तीनों आरोपियों को जेल भेजते हुए 15 अक्टूबर को सजा सुनाने की तारीख तय की है। इस मामले ने स्थानीय समुदाय में व्यापक चर्चा छेड़ दी है।