आगरा: पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है, जहां एकता चौकी पर तैनात प्रशिक्षु दरोगा ने मुकदमा दर्ज करने के नाम पर 15 हजार रुपये की रिश्वत वसूल ली। आरोपी दरोगा भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत पौनिया के कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर के भाई से रकम लेने का दोषी पाया गया। शिकायत पर पुलिस आयुक्त ने तुरंत कार्रवाई की, रकम वापस कराई गई और दरोगा को निलंबित कर दिया गया। यह घटना पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ी कर रही है।
गांव बिसैरा कला, ताजगंज निवासी उदय सिंह भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशांत पौनिया के कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करते हैं। उनका भाई सत्यपाल जनसेवा केंद्र चलाता है। 2 सितंबर को केंद्र पर कुछ लोगों ने मारपीट और तोड़फोड़ की। पीड़ित सत्यपाल की सूचना पर पीआरवी (पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल) टीम पहुंच गई। शिकायत दर्ज कराने थाना ताजगंज ले जाया गया, जहां तहरीर देकर लौट आए।
मामले की जांच एकता पुलिस चौकी को सौंपी गई। यहां चोक प्रभारी ने प्रशिक्षु दरोगा विवेक चौहान को रिश्वत के लिए उकसाया। आरोप है कि मुकदमा दर्ज करने के लिए 15 हजार रुपये मांगे गए। बहाना बनाया गया कि दूसरे पक्ष ने भी तहरीर दी है, जिसमें दुष्कर्म का आरोप लगाया गया है। बाद में विवेक चौहान ने रकम ले ली। चोक प्रभारी ने ही इसे दरोगा को देने के निर्देश दिए थे।
त्वरित कार्रवाई: शिकायत पर रकम लौटाई, निलंबन और जांच के आदेश
जिलाध्यक्ष प्रशांत पौनिया को मामले की भनक लगी तो उन्होंने सीधे पुलिस आयुक्त दीपक कुमार से शिकायत की। सूचना मिलते ही दरोगा विवेक चौहान घबरा गया और रकम पूर्व प्रधान के घर पर जमा करा दी। 14 सितंबर को आखिरकार पीड़ित के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने तत्काल विवेक चौहान को निलंबित कर दिया। विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं, जिसमें चौकी प्रभारी की भूमिका की भी पड़ताल होगी।
प्रभाव: भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जरूरत
यह घटना आगरा पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है। जिलाध्यक्ष पौनिया ने कहा, “पार्टी कार्यकर्ताओं को न्याय मिलना चाहिए, रिश्वत का चलन बर्दाश्त नहीं।” पीड़ित सत्यपाल ने राहत जताते हुए कहा कि उच्च अधिकारियों की सक्रियता से न्याय मिला। पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जाएगी।