आगरा। कहते है विधि का विधान बड़ा होता है या विधाता तो आज अपना घर आश्रम में ऐसा ही वाकिया नजर आया जिसमें विधाता से ज्यादा बड़ा विधि का विधान ही दिखा। हम बात कर रहे हैं,यहां आवासरत रहे प्रभुजी अशोक 40 को 22 अगस्त 2020 को दूदाधारी इंटर कॉलेज खेरागढ, आगरा उ.प्र. से असहाय, लावारिस हालत में मिला, तभी

कमल सिंह अपना घर आश्रम भरतपुर व अपना घर आश्रम की टीम द्वारा रेस्क्यू कर लाया गया, जहां सेवा एवं उपचार के बाद जब प्रभु सिंह की हालत में सुधार हुआ तो उन्होंने अपने घर जाने की इच्छा अपना घर प्रबंधन के सामने रखी। उन्हें उनकी स्वेच्छा से पुर्नवास प्रक्रिया पूर्ण कर उनके घर भेज दिया गया। लेकिन प्रभु अशोक को अपना घर से इतना लगाव हो गया था कि उनका अपना घर आश्रम में आना-जाना लगा ही रहता था। वह पुनः 19 मई 2025 से 7 जुलाई 2025 तक अपनाघर आश्रम में रहे और फिर एक बार घर चले गए। मृतक प्रभु अशोक के भाई राजेश कुमार, चाचा रामवीर सिंह ने बताया कि घर जाने के बाद फिर वह घर से करीब 8-10 दिन पहले ही निकल थे।

लेकिन इस बार वह गंभीर बीमार होने के कारण लावारिस हालत में भरतपुर के बयाना क्षेत्र में मिले जहां से 108 एंबुलेंस द्वारा इनको बयाना अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। गंभीर हालत होने के कारण जिला चिकित्सालय आरबीएम भरतपुर रैफर कर दिया गया। जहां इनकी इलाज के दौरान 30 सितंबर 25 को मृत्यु हो गई। इनकी देह को 8 दिन तक सुरक्षित आरबीएम अस्पताल में रखा गया और बयाना पुलिस द्वारा इनकी शिनाख्तगी के काफी प्रयास किए गए। लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो बयाना पुलिस ने अपना घर आश्रम में शांत देह का अंतिम संस्कार करवाने के लिए संपर्क किया गया और यहां अपनाघर द्वारा शांत देह को लाया गया।

विधि के विधानुसार नीयति को कुछ और ही मंजूर था, यहां अशोक प्रभुजी को देह को देखकर पहंचान कर ली गई कि ये अपना घर में आवासरत रहे है। उत्तर प्रदेश

कमल सिंह व प्रबंधन द्वारा इनके रिकॉर्ड की जांच की गई तो बात सही निकली और इनके परिजनों से संपर्क किया गया तो परिजन अपना घर आश्रम भरतपुर आए और शांत देह को अपनाघर आश्रम व बयाना पुलिस द्वारा कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर नगला भान, फोंडर मथुरा उ.प्र. लेकर चले गए। सन् 2000 से अभी तक अपनाघर आश्रम द्वारा करीब 300 से अधिक लावारिस अंतिम संस्कार कर चुके है। कमल सिंह जनपद आगरा अपील करते हैं कि आपको असहाय, लावारिस दिव्यांग हालत गंभीर बिमार मिलें तो उनके घर अपना घर आश्रम भेजने में मदद करें।

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