आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के अकोला क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने किसानों के बीच आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। नगला परिमाल गांव के 27 वर्षीय युवा किसान जयदेव सिंह की मंगलवार को खाद के लिए सहकारी समिति की लंबी लाइन में खड़े-खड़े अचानक तबीयत बिगड़ गई। पिता जयपाल सिंह के साथ आगरा ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई। यह घटना जिले में खाद की किल्लत और किसानों की बदहाली को उजागर करती है, जहां डीएपी और यूरिया जैसी खाद के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

घटना का पूरा विवरण: मृतक के पिता जयपाल सिंह ने बताया कि जयदेव तीन दिनों से खाद के लिए अकोला सहकारी समिति के चक्कर काट रहे थे। रोज सुबह लाइन लगाते, लेकिन स्टॉक खत्म होने या अन्य कारणों से खाली हाथ लौटना पड़ता। मंगलवार को फिर जयदेव खाद लेने पहुंचे। वहां लंबी कतार थी। करीब दो घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद अचानक सीने में तेज दर्द हुआ और वे गिर पड़े। पिता ने उन्हें तुरंत स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाया, जहां हालत गंभीर देखकर आगरा के लिए रेफर कर दिया गया। लेकिन रास्ते में ही जयदेव ने दम तोड़ दिया।

अंतिम संस्कार और विरोध प्रदर्शन: बुधवार शाम को गांव में जयदेव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी मौत से परिवार और ग्रामीणों में गहरा शोक है। जयदेव एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे और दो छोटे भाई-बहनों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी संभालते थे। बृहस्पतिवार को नाराज ग्रामीणों ने गांव में जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। स्थानीय निवासी और एडवोकेट केदार सिंह ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। शुक्रवार को ग्रामीण जिलाधिकारी से मिलकर मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता और न्याय की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसानों की उपेक्षा को दर्शाती हैं।

जिले में खाद संकट गहराया: आगरा और आसपास के जिलों में रबी फसल की बुवाई के समय खाद की भारी कमी हो गई है। किसान समितियों पर मारामारी मची हुई है। मथुरा जैसे पड़ोसी जिले में भी किसान घंटों लाइन में लगने के बावजूद खाली हाथ लौट रहे हैं, और ब्लैक मार्केटिंग के आरोप लग रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सप्लाई चेन की खराबी और बढ़ती मांग से यह संकट पैदा हुआ है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द स्टॉक बढ़ाया जाएगा, लेकिन किसान नाउम्मीद हैं।

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