रिपोर्ट 🔹सुशील गुप्ता
फतेहाबाद (आगरा)। श्रावण मास के पुण्य अवसर पर फतेहाबाद कस्बे के कान्हा वन गार्डन में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा का चौथा दिन भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। चित्रकूट धाम से पधारे परम पूज्य बाल व्यास पंडित विवेक जी महाराज के श्रीमुख से आज स्त्री शिव चरित्र एवं सती चरित्र की अद्भुत कथा श्रवण कराई गई।
पूज्य महाराज जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि किस प्रकार दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान किया और यज्ञ में आमंत्रण न भेजकर शिव से प्रतिशोध लेने का प्रयास किया। सती माता के पिता के घर बिना बुलाए जाने और यज्ञ मंडप में भगवान शिव का स्थान न देखकर उनके आत्मदाह की करुण गाथा ने श्रोताओं की आँखें नम कर दीं।
माँ सती के आत्मदाह के पश्चात भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न वीरभद्र द्वारा यज्ञ विध्वंस और दक्ष प्रजापति का शिरच्छेदन तथा पुनः शिव द्वारा यज्ञ को सम्पन्न कर दक्ष के मस्तक पर बकरे का सिर स्थापित करने का दिव्य प्रसंग सभी भक्तों को शिव की न्यायप्रियता और करुणा का अनुभव कराता रहा।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान शिव कृपा के सागर हैं – वे मात्र एक लोटा जल और बिल्व पत्र से प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी पीड़ाओं को हर लेते हैं। श्रावण मास में शिव महापुराण कथा का श्रवण और शिव आराधना जीवन को कष्टों से मुक्त कर देती है।
आज कथा के मध्य विशेष रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। भक्तों को पूज्य विवेक जी महाराज के कर कमलों से रुद्राक्ष प्रदान किए गए, जिससे उनके जीवन के संकटों की निवृत्ति हो सके।
श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता से ओतप्रोत यह आयोजन क्षेत्र में धार्मिक चेतना का केंद्र बना हुआ है। शिव महापुराण कथा का क्रमशः वृहद विस्तार आगामी दिनों में भी श्रद्धालुओं को अध्यात्म के अमृत से अभिसिंचित करता रहेगा।
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