खेरागढ़/आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के खेरागढ़ क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान उटंगन नदी में हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक की लपेट में ले लिया है। गुरुवार दोपहर कुसियापुर और डूंगरवाला गांव के 13 युवक नदी के तेज बहाव में बह गए, जिसमें अब तक पांच शव बरामद हो चुके हैं।
बाकी लापता लोगों की तलाश में पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें दिन-रात जुटी हुई हैं। लेकिन इस मातम के बीच एक ‘नेताजी’ की राजनीतिक चाल ने ग्रामीणों का गुस्सा और भड़का दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट की दौड़ में वे लाशों पर ही ‘फील्डिंग’ लगाने की कोशिश में लगे थे, लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया। अब वे मुंह छुपाते घूम रहे हैं।
हादसे का दर्दनाक चित्रण: जश्न से मातम तक
दशहरा का उत्साह भरा दिन खेरागढ़ के कुसियापुर गांव में चामुंडा माता मंदिर के पास दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए इकट्ठा हुए 40-50 ग्रामीणों के लिए काल बन गया। दोपहर करीब 1-2 बजे ट्रैक्टर पर सवार होकर युवक प्रतिमा लेकर उटंगन नदी के किनारे पहुंचे। प्रशासन द्वारा निर्धारित विसर्जन स्थल पुल के नीचे था, लेकिन ग्रामीणों ने डूंगरवाला गांव के पास नदी में उतरने का फैसला किया। अचानक तेज बहाव ने 13 युवकों को लपेट लिया। ग्रामीणों ने चीख-पुकार मचाई, लेकिन सिर्फ एक युवक विष्णु (20) को बाहर निकाला जा सका। बाकी बहते चले गए।
शुक्रवार सुबह तक चार शव और बरामद हो चुके थे –
ओमपाल (25), गगन (24), हरेश (20) और भगवती (22)। एक शव शुक्रवार दोपहर मिला, जिससे मृतकों की संख्या पांच पहुंच गई। लापता हैं अभिषेक (17), ओके (16), सचिन (26) समेत आठ अन्य। जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी, डीसीपी पश्चिम अतुल शर्मा और एसपी सिटी ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। एनडीआरएफ की चार टीमों ने स्टीमर और गोताखोरों के साथ तलाश तेज कर दी है।
ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि नदी किनारे सुरक्षा इंतजाम नाकाफी थे। गुस्से में आकर उन्होंने केगरौल और उंटगिर चौराहों पर सड़क जाम कर दी। एसडीएम की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए गए। पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह ने ग्रामीणों को शांत कराया और आश्वासन दिया कि दोषियों पर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की।
मृतक युवकों के नाम उम्र, गांव
ओमपाल, 25, कुसियापुर
गगन, 24, कुसियापुर
हरेश, 20, कुसियापुर
भगवती, 22, कुसियापुर
(पांचवां शव – नाम की पुष्टि जारी)
लाशों पर राजनीति: ‘नेताजी’ का उजला दांव फेल
हादसे के सदमे में डूबे परिवारों के बीच एक स्थानीय ‘नेताजी’ की करतूत ने सबको स्तब्ध कर दिया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में खेरागढ़ सीट से टिकट पाने की होड़ में थे। हादसे को मौका बनाकर उन्होंने वर्तमान विधायक और जिला स्तर के पदाधिकारियों के खिलाफ ‘फील्डिंग’ लगाई। सोशल मीडिया और स्थानीय मीटिंग्स में उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ कमाने की कोशिश की। लेकिन उनका खेल उल्टा पड़ गया।
सूत्र बताते हैं कि नेताजी ने हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों को भड़काने की कोशिश की, लेकिन विधायक के समर्थकों को भनक लग गई। उन्होंने नेताजी के खिलाफ नारे लगाए और उनकी चाल को बेनकाब कर दिया। अब नेताजी का चेहरा झुलस रहा है। वे सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आ रहे। ग्रामीणों का कहना है, “लाशें अभी ठंडी भी नहीं हुईं, और ये सियासत पर उतर आए। शर्मिंदगी तो बेचो!”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना नेताजी के लिए करियर का अंतिम झटका साबित हो सकती है।
प्रशासन की चूक या ग्रामीण लापरवाही? बहस छिड़ी
हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं – क्या प्रशासन ने विसर्जन स्थलों पर पर्याप्त चेतावनी बोर्ड और लाइफ जैकेट उपलब्ध कराए थे? ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने निर्धारित स्थल पर जाने से रोका, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बताई। वहीं, डीसीपी अतुल शर्मा का कहना है, “ग्रामीणों ने खुद ही गैर-निर्धारित जगह चुनी। हमने सलाह दी थी कि कैला देवी घाट जाएं।” इस बहस के बीच खेरागढ़ के स्कूलों को शुक्रवार के लिए बंद कर दिया गया है।
यह हादसा न केवल आगरा बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए सबक है। विसर्जन जैसे धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। फिलहाल, नदी किनारे चीखें और आंसू ही गूंज रहे हैं। लापता युवकों की तलाश जारी है, और उम्मीद है कि बाकी शव जल्द बरामद हो जाएंगे।
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